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3 लाख से ज्यादा लोग यहां खा चुके हैं 5 रुपए में भरपेट खाना, सरकार की अनदेखी से अब बंद होने की कगार पर पहुंची रसोई

locationनरसिंहपुरPublished: Jan 11, 2019 02:46:19 pm

Submitted by:

shivpratap singh

गरीबों के निवाले पर बजट का रोडा, बंद हो सकती है दीनदयाल रसोई योजना

    नरसिंहपुर। गरीब और जरूरतमंद लोगों को 5 में भरपेट भोजन कराने की दीनदयाल रसोई के आर्थिक संकट के चलते अब बंद होने की नौबत आ गई है। जानकारी के अनुसार वर्तमान में जो संस्था इसे चला रही है वह करीब 9 लाख ५० हजार रुपए का घाटा उठा चुकी है और अब उसने इसे चलाने से हाथ खड़े कर दिए हैं। दूसरी ओर इस रसोई को चलाने के लिए समाजसेवी और परोपकारी लोग सामने नहीं आ रहे हैं। ऐसे में कलेक्टर ने जिले के सभी प्रमुख अधिकारियों को रसीद कट्टे थमा दिए हैं ताकि लोगों से आर्थिक योगदान लेकर इस रसोई को संचालित किया जा सके।   जिले में 8 अप्रैल 2017 को दीनदयाल रसोई  की शुरुआत की गई थी । शुरू में इसे चलाने की जिम्मेदारी रोटरी क्लब ने ली थी जिसने इसे 30 अगस्त तक चलाया । 1 अगस्त से  प्रयास नामक संस्था ने इसे चलाना शुरू किया। प्रयास ने इसे 5 जून २०१८ तक चलाने की जिम्मेदारी ली।  1 जून को प्रयास ने कलेक्टर को एक पत्र सौंप कर वस्तु स्थिति से अवगत कराया कि संस्था करीब 9.50000 का आर्थिक भार उठा चुकी है और 15 जून से इसे चलाने की स्थिति में नहीं है। कलेक्टर ने 15 जुलाई तक इसे चलाने का आग्रह किया जिस पर संस्था इसे चला रही है ।   दूसरी ओर कलेक्टर ने इस योजना को चलाने के लिए एक बैठक भी बुलाई लेकिन उसमें कोई समाजसेवी या संस्था सामने नहीं आई जो इस रसोई का भार उठाने को तैयार हो । ऐसी स्थिति में कलेक्टर ने सभी प्रमुख अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे अपने स्तर पर लोगों से आर्थिक सहयोग प्राप्त करें ताकि रसोई सुचारू चल सके। खास तौर पर निर्माण एजेंसियों को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे अपने अधीनस्थ ठेकेदारों की कम से कम ५ हजार रुपए की रसीद रसोई के लिए काटें।    यह है स्थिति  दीनदयाल रसोई योजना को चलाने में 1 साल में करीब 18 लाख रुपए का खर्च आता है। औसतन प्रतिदिन 500 लोग इसमें भोजन करने आते हैं ।1 दिन का खर्च करीब 14 से 15000 रुपए आता है 1000 लोगों के भोजन करने पर खर्च कम हो जाता है । प्रति व्यक्ति 5 रुपए लेने के बाद भी 14 से  15 रुपए प्रति थानी खर्च आता है । जन्मदिन या किसी की स्मृति  पर लोग भोजन कराने आते हैं तो अपनी स्वेच्छा से कुछ आर्थिक योगदान देते हैं जिससे कुछ सहारा मिलता है ।   यह प्रस्ताव भी रखा रसाई चलाने के लिए यह प्रस्ताव भी रखा गया कि  खाना खाने वाला ५ रुपए  देता है और कम से कम 5 रुपए की व्यवस्था कलेक्टर करें तो संस्था शेष  5 रुपए का आर्थिक भार वहन करने को तैयार है।  जानकारी के अनुसार कलेक्टर ने अधिकारियों को जो रसीद कट्टे थमाए हैं उससे अभी तक 30-३५ हजार रुपए  एकत्र हुए हैं ।  ऐसे हो रहा दुरुपयोग जिला अस्पताल में संचालित दीनदयाल रसोई वास्तविक जरूरतमंद लोगों के लिए  है। पर इसमें हर दिन २०० से २५० ऐसे लोग खाना खाने आते हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं और दूसरे भोजनालयोंं में खाना खा सकते हैं पर मुफ्त ए माल और दिल ए बेरहम की तर्ज पर यहां प्राय: रोज ही खाना खाने आ रहे हैं। बताया गया है कि कई नशा करने वाले तत्व भी यहां स्थाई ग्राहकों की तरह भोजन करने आ रहे हैं। इनमें से तो कुछ ऐसे हैं जो अपने साथ २० से ३० रुपए का सलाद लेकर ५ रुपए में भरपेट भोजन करने आते हैं । ऐसे लोगोंं की वजह से रसोई पर अनावश्यक रूप से भार बढ़ रहा है और इसके बंद होने की नौबत आ रही है।  नहीं है कोई फिल्टर जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल परिसर में रसोई संचालित होने की वजह से इलाज के लिए भर्ती मरीजों के परिजन यहां भोजन करने आते हैं जिनकी संख्या २०० से २५० तक होती है। ये वास्तविक जरूरतमंद होते हैं।  आर्थिक रूप से सक्षम लेकिन मुफ्त में खाने की मंशा से हर रोज आने वालों को रोकने कोई फिल्टर नहीं है।   वर्जन दीनदयाल रसोई को सुचारू रखने के लिए सभी का सहयोग लिया जा रहा है। सभी अधिकारियों से भी कहा गया है कि वे ५-५ हजार रुपए का आर्थिक योगदान दें ताकि गरीबों के लिए संचालित रसोई चलती रहे। अभय वर्मा कलेक्टर

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नरसिंहपुर. गरीबों और जरूरतमंदों को प्रतिदिन 5 रुपए में पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाने के लिए शुरू हुई दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना पर संकट मंडरा रहा है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पहुंचने वाले और भोजन करने वाले लोगों के सामने अब भूखे रहने की नौबत आ सकती है। दरअसल जिला अस्पताल में संचालित दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना का संचालन 14 जनवरी से बंद कर दिया जाएगा। इसका कारण नगरपालिका द्वारा योजना के तहत रसोईघर का संचालन करने वाले प्रयास शिक्षण एवं सामाजिक संगठन को 10 लाख से अधिक का भुगतान नहीं किया जाना है।


उल्लेखनीय है कि संगठन ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी को पत्र लिखकर 14 जनवरी से योजना का संचालन बंद करने का अल्टीमेटम भी दे दिया है। जानकारी के अनुसार दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना का संचालन जिला अस्पताल परिसर में 1 नवंबर 2017 से शुरू किया गया था। यहां ५ रुपए शुल्क लेकर जरूरतमंद व गरीबों को भरपेट भोजन उपलब्ध करवाया जाता है।


तो भूखे रह जाएंगे प्रतिदिन 500 जरूरतमंद
दीनदयाल रसोई में प्रतिदिन 400 से 600 लोग योजना के लिए यहां पहुंचकर भोजन करते हैं। ६ जनवरी को इस योजना का 639वां दिन रहा। अबतक यहां 3 लाख 37 हजार 290 लोग भोजन कर चुके हैं। यदि इस योजना का संचालन बंद कर दिया जाता है तो प्रतिदिन 500 से अधिक लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो सकता है।


मरीजों के परिजनों को होगी समस्या
अस्पताल में रसोई घर में भोजन करने वाले जरूरतमंदों में सबसे अधिक संख्या मरीजों के परिजनों की होती है। दूरदराज के क्षेत्रों से जिला अस्पताल आकर इलाज करवाने वाले मरीजों के परिजन बाहर होटलों से मंहगा खाना खरीद पाने में सक्षम नहीं होते, ऐसी स्थिति में यह रसोई उनके लिए सबसे बड़ा सहारा होती है।

इनका कहना है
शासन की मंशानुसार दीनदयाल रसोई योजना का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान एनजीओ प्रयास शिक्षण संस्था द्वारा आगामी समय में संचालन को लेकर असमर्थता व्यक्त की गई है। रसोई के निरंतर संचालन के लिए अन्य माध्यमों से भी चर्चा की जा रही है। आगामी समय में उच्चाधिकारियों से परामर्श करके जो भी निर्णय होगा उसमें बेहतर व्यवस्थाएं देने का प्रयास करेंगे।
अर्चना दुबे, अध्यक्ष, नगरपालिका नरसिंहपुर

संस्था द्वारा दीनदयाल रसोई के माध्यम से डेढ़ लाख लोगों को भोजन कराने का लक्ष्य लेकर कार्य शुरू किया गया था। इसमें नगर में मित्रों शुभचिंतकों के साथ ही देश और विदेश के संपर्क में आए लोगों ने सहयोग किया। समाज सेवा की निरंतरता बनी रहे और अन्य संगठनों को भी इस दिशा में काम करने का अवसर मिले इस उद्देश्य को लेकर 14 जनवरी से संस्था ढाइ लाख से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराकर विराम ले रही है। कुछ माहों का भुगतान अटका है लेकिन यह कोई समस्या नहीं है।
विक्रांत पटैल, सचिव, प्रयास शिक्षण एवं सामाजिक संगठन

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