599 बच्चादानी ऑपरेशन मामले में विभागीय जांच सुनवाई २ को
नरसिंहपुरPublished: Dec 28, 2018 08:38:39 pm
पत्रिका की खबर पर दो डॉक्टरों को शासन कर चुका है सस्पेंड निलंबित डॉक्टरों सहित १० अधिकारियों को बयान और साक्ष्य के लिए बुलाया
नरसिंहपुर। जिला अस्पताल में 9 माह में 599 बच्चेदानी के ऑपरेशन मामले में पत्रिका के खुलासे के बाद डॉक्टर निलंबित किया गए थे और उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की गई थी। इस मामले में आरोपी डॉक्टरों सहित जांच अधिकारियों को मिलाकर कुल 10 लोगों को बयान के लिए बुलाया गया है । जानकारी के अनुसार इस प्रकरण में संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं मध्यप्रदेश भोपाल ने क्षेत्रीय संचालक जबलपुर को विभागीय जांच अधिकारी नियुक्त किया है । इस प्रकरण में सुनवाई 2 जनवरी को निर्धारित की गई है । सुनवाई दोपहर 12 बजे से शुरू होगी । इस मामले में आरोपी डॉक्टर आरके सिंह शल्य चिकित्सक, डॉ. डीपी सिंह शल्यक्रिया विशेषज्ञ को बुलाया गया है साथ ही साक्ष्य एवं कथन के लिए डॉ. भावना मिश्रा स्त्री रोग विशेषज्ञ रानी दुर्गावती चिकित्सालय जबलपुर,डॉ.जीसी चौरसिया तत्कालीन सीएमएचओ नरसिंहपुर, डॉ विजय मिश्रा सिविल सर्जन नरसिंहपुर, डॉ मधु सक्सेना पीजीएमओ गायनिक जिला अस्पताल नरसिंहपुर डॉ मंजरी सिंह पीजीएमओ गायनिक जिला अस्पताल नरसिंहपुर, डॉ. नम्रता शुक्ला पीजीएमओ गायनिक जिला अस्पताल नरसिंहपुर डॉ साधना पटेल पीजीएमओ गायनिक जिला अस्पताल नरसिंहपुर और डॉक्टर संतोष शर्मा पीजीएमओ गायनिक जिला अस्पताल नरसिंहपुर को प्रकरण में सुनवाई के लिए बुलाया गया है।पत्रिका ने जिला अस्पताल में 9 माह में 599 महिलाओं की बच्चादानी निकालने के मामले का खुलासा करते हुए 21 सितंबर २०१७ को समाचार प्रकाशित किया था। पत्रिका की खबर के बाद शासन ने एक जांच समिति का गठन किया था। जिसमें क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं जबलपुर द्वारा प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट में यह सिद्ध हुआ कि डॉ. आरके सिंघई और डॉ.डीपी सिंह ने मेडिकल एथिक्स का पालन नहीं किया। डॉ.सिंघई ने 29 वेजाइनल हिस्टेक्टॉमी एवं 228 एब्डोमिनल हिस्टे्रक्टॉमी ऑपरेशन किए। इसी तरह डॉ. डीपी सिंह पर यह आरोप सिद्ध पाया गया है कि उन्होंने ५ वेजाइनल हिस्टे्रक्टॉमी एवं 276 एब्डॉमिनल हिस्टे्रक्टॉमी ऑपरेशन किए। उन्होंने ऑपरेशन के पूर्व नियमानुसार महिलाओं की स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों से जांच नहीं कराई। अस्पताल में 5 स्त्री रोग विशेषज्ञ होने के बावजूद उनसे मत नहीं लिया गया। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा निलंबित किए गए दोनों डॉक्टरों को क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं जबलपुर के कार्यालय में अटैच कर दिया गया था। इस मामले में विभागीय जांच अलग से की जा रही है।