फोरम में फरियादी कांति साहू द्वारा पेश किए गए वाद के मुताबिक कांति साहू के पति हरिश्चंद्र साहू लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी थे। 15 जुलाई 2011 को उनके पेट में दर्द होने पर उन्हें पराडकऱ अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनका अपेंडिक्स का ऑपरेशन किया गया। 28 जुलाई 2011 को 28000 के बिल का भुगतान लेकर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन इसके बावजूद हरिश्चंद्र को तकलीफ बनी रही और उसे लगातार बुखार आता रहा। जिस पर उसे जिला अस्पताल नरसिंहपुर में भर्ती कराया गया लेकिन उसका स्वास्थ्य ठीक न होने पर उसकी पत्नी उसे इलाज के लिए नागपुर ले गई। वहां डॉक्टर अरविंद जागलेकर ने उसका इलाज किया।
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के समय पेट में लापरवाहीपूर्वक कॉटन छोड़ दी गई थी। जिसे डॉक्टर ने निकाला और बताया कि पेट में छोड़े गए कॉटन की वजह से लंबे समय से पेट में पस बनने के कारण उसकी पुरानी बीमारी उभर आई है। काफी इलाज कराने के बाद 17 अक्टूबर 2011 को हरिश्चंद्र साहू की मृत्यु हो गई। जिस पर उसकी पत्नी कांति ने पुलिस में शासकीय चिकित्सक डॉ. प्रदीप धाकड़ और पराडकर अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर पराग पराडकर के खिलाफ मामला दर्ज कराया। इस प्रकरण में डॉक्टर प्रदीप धाकड़, डॉक्टर पराग पराडकर,सचिव मध्यप्रदेश शासन, अवंती इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी नागपुर को पक्षकार बनाया गया। मामले में फोरम के अध्यक्ष केके त्रिपाठी और सदस्य रमाकांत दीक्षित ने समस्त दलीलों और साक्ष्यों का विश्लेषण करने के बाद डॉक्टर प्रदीप धाकड़ और डॉक्टर पराग पराडकऱ के खिलाफ क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश पारित किया। मामले में कांति साहू की ओर से अधिवक्ता उमेश कुमार नेमा ने पैरवी की।