शाम 5 बजकर 25 मिनट पर ओपीडी कक्ष खाली पड़े थे। डॉक्टर अपने कक्ष में मौजूद नहीं थे। इस दौरान मरीज इलाज के लिए भटकते नजर आए। यही हाल महिला ओपीडी से लेकर पुरूष किसी भी कक्ष में कोई डॉक्टर नहीं है। मरीज डॉक्टरों को खोजकर परेशान होते रहे। यहां तक कि मारपीट में घायल मरीज मुन्नालाल मेहरा आकस्मिक कक्ष में डॉक्टर को करीब बीस मिनट से खोजकर परेशान था। इसको लेकर मरीजों में नाराजगी नजर आई।
मरीज उमेश सिंह ने कहा कि में सभी डॉक्टरों के कक्षों में देखकर आया हूं कहीं भी कोई डॉक्टर मौजूद नहीं है। किसी के कक्ष में ताला लगा है तो किसी में कुर्सी खाली पड़ी है। यही बात मरीज उमाकांत ने कही। मरीजों ने कहा कि यह एक दिन की बात नहीं है। शाम के समय अक्सर डॉक्टर नहीं मिलते हैं। इस दौरान दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज डॉक्टर को दिखाने आते है। इसके बाद पर्ची बनवाकर डॉक्टर को खोजते हैं लेकिन डॉक्टर का अता-पता नहीं रहता है। कई बार तो सुबह के समय भी यही हालत नजर आती है। कक्ष में खोजने से भी डॉक्टर नहीं मिलते हैं। बस एक आकस्मिक डॉक्टर किसी प्रकार से मिल जाते हैं। मरीजों ने कहा कि जिला अस्पताल की हालत सुधरने वाली नहीं है। जिला अस्पताल बस गरीब लोगों की एक आस बनकर रह गया है। अस्पताल में वहीं लोग आते हैं, जिनको प्राइवेट में नहीं दिखाना होता है, लेकिन आकर भी उन्हें निराशा ही मिलती है। दिनभर डॉक्टर नहीं मिलते हैं। इसको लेकर परेशान मरीजोंंं की परेशानी और बढ़ जाती है।
छुट्टी पर हैं डॉक्टर
तीन डॉक्टर के छुट्टी पर जाने के बाद तीन डॉक्टर बचे हैं। सुबह के समय ड्यूटी पर आते हैं। अभी ट्रेनिंग में चले गए हैं।
डॉ. विजय मिश्रा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल