scriptछात्रों को विचार मत दो उन्हें विचारवान बनाओ – विनायक परिहार | Don't make students think, make them think - Vinayak Parihar | Patrika News

छात्रों को विचार मत दो उन्हें विचारवान बनाओ – विनायक परिहार

locationनरसिंहपुरPublished: Mar 04, 2021 10:16:15 pm

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ajay khare

कॅरियर उड़ान/ टेलैंट टाक -भारत सरकार की नई शिक्षा नीति पर वाद विवाद एवं संभाषण कार्यक्रम का आयोजन

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vinayak parihar

नरसिंहपुर. डाइट परिसर में संचालित शासन की उड़ान कोचिंग में भारत सरकार की नई शिक्षा नीति की समीक्षा विषय पर वाद विवाद एवं संभाषण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे बतौर मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता विनायक परिहार ने युवाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जब विश्व शिक्षा व्यवस्था बनाने की शुरुआत कर रहा था तब भारत मे साढ़े सात लाख विद्यालय और चालीस हजार के लगभग नालंदा जैसे उच्च शिक्षा केन्द्र हुआ करते थे। शोध और अनुसंधान के क्षेत्र का पिछड़ापन दूर करना और ऐसी शिक्षा प्रणाली विकास करना जो कि रोजगार परक हो आज की महती आवश्यकता है। प्रतियोगिता में 25 छात्रों ने भाग लिया जिसमें 15 विपक्ष और 10 पक्ष के प्रतिभागी रहे। तथ्यात्मक आरोप प्रत्यारोप के साथ छात्रों ने अपने विचार रखे। प्रतियोगिता की विजेता रही आंशिक नेमा ने नई शिक्षा नीति को कागज का शेर बताते हुए कहा कि जब पिछली शिक्षा नीति जीडीपी का 4 प्रतिशत नहीं बन पाई तो कैसे 6 प्रतिशत तक नई शिक्षा नीति लेकर आएगी। विदेशी विश्वविद्यालय का भारत में संस्थान खोलना उपनिवेश वाद की ओर ले जाएगा और वैचारिक गुलामी आएगी। उप विजेता रहीं कविता श्रीवास्तव ने पक्ष में बोलते हुए नई शिक्षा नीति की विशेषताएं गिनार्इं। जिसमें सेमेस्टर प्रणाली क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा संस्कृत की अनिवार्यता मातृभाषा की अनिवार्यता और अनुभव अनुसंधान और शोध परक शिक्षा के महत्व को समझाया । कविता ने बताया उच्च शिक्षा में स्नातक करते वक्त बीच में पढ़ाई छोड़ देने पर साल बर्बाद नहीं होंगे सर्टिफिकेट प्रोग्राम बाद में पुन: पढ़ाई शुरू करने पर छात्र को मदद करेंगे।
विपक्ष ने इसे बीमार आदमी को अच्छे कपड़े पहना देने वाली बात कही। निजीकरण को बढ़ावा देने का आरोप भी विपक्ष के प्रतिभागियों ने लगाया। साथ ही विदेशी यूनिवर्सिटी के आने से शिक्षा मंहगी होने की आशंका व्यक्त की। सेमेस्टर सिस्टम स्नातक में सफलता पूर्वक नहीं चल सका तो फिर स्कूल शिक्षा में कितना सफल होगा यह संशय भी जाहिर किया। अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म करने से वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछडऩे की आशंका भी व्यक्त की।
शिक्षा नीति के पक्ष में शिवानी नेमा, आरती कुशवाहा, वैशाली पांडे, कविता श्रीवास्तव, वैभव पाटकर, पार्वती चौधरी सिद्धि नेमा, उमेश प्रजापति, स्वाति मिश्रा, रीता नेमा ने अपने विचार रखे । विपक्ष में रजनी कुशवाहा, चंद्रप्रभा नौरिया, दीपिका साहू, प्रियंवादा तिवारी, शिवम राजपूत, अंशिका ,रिया सजा मंसूरी, मानसी जैन, दीक्षा लोधी, जीनत मंसूरी, रश्मि चौधरी, अंजलि साहू ,एकता प्रजापति ने अपनी बात कही। विवेक सिंह एवं बसंत श्रीवास्तव प्रतियोगिता के निर्णायक रहे।
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