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मौनी अमावस्या पर नर्मदा में लगाई आस्था की डुबकियां

locationनरसिंहपुरPublished: Feb 04, 2019 12:42:46 pm

Submitted by:

ajay khare

सोमवती अमावस्या के संयोग, कुंभ चलने से बढ़़ा महत्व

KUmbh

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गाडरवारा। माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। यह एक महाव्रत है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों, संगम में देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। वर्तमान में प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। जिस में शामिल होने अनेक लोग मौनी अमावस्या पर आस्था की डुबकी लगाने रवाना हुए हैं इसके अलावा स्थानीय नर्मदा तटों पर भी मौनी अमावस्या पर हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी। जहां मां नर्मदा की पूजन अर्चन के साथ दान पुण्य, कन्याभोज, भंडारा, सत्यनारायण कथा एवं नर्मदा की महाआरती जैसे आयोजन भी क्षेत्रीय नर्मदा तटों पर मौनी अमावस्या के चलते आयोजित किए गए। इस बार मोनी अमावस्या सोमवार को पड़ऩे से सोमवती अमावस्या का भी दुर्लभ संयोग बना है। जिससे इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है। पंडितों के अनुसार मौनी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने से बहुत पुण्य लाभ प्राप्त होता है मौन रहकर स्नान करने से इसे मौनी अमावस्या कहा गया है। मौनी अमावस्या के चलते नर्मदा तटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमडऩे से यहां आस्था के मेले लगे। वैसे भी क्षेत्र के लोगों में मां नर्मदा के प्रति अगाध आस्था है। जिसमें प्रत्येक अमावस्या, पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में लोग नर्मदा तटों पर स्नान करने पहुंचते हैं। इनमें भी मौनी अमावस्या, शनिचरी अमावस्या, सोमवती अमावस्या, नर्मदा जयंती आदि का विशेष महत्व होने से समस्त नर्मदा तटों पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ होने की संभावना सही साबित हुई। यहां प्रात: काल से शाम तक श्रद्धालुओं द्वारा स्नान, पूजन, अर्चन के अलावा दीपदान भी किए गए। वहीं अमावस्या एवं सोमवार का संयोग होने से लोग नर्मदा के पवित्र जल से भोलेनाथ का जलाभिषेक भी किया। इससे स्थानीय डमरूघाटी पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए। पंडितों ने बताया है प्रात:काल उठ कर सबसे पहले स्नान करें और फिर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। मौनी अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। सूर्य को जल दें। इसके चलते नगर की महिलाएं प्रतिवर्ष अनुसार परिक्रमा की तैयारी करती रहीं। इसके साथ ही अनेक श्रद्धालु उपवास भी रखते हैं। बहरहाल मौनी अमावस्या पर क्षेत्र में सुबह से ही धर्ममय माहौल बना रहा। नर्मदा तटों के अलावा मंदिरों में भी पूजन अर्चन के साथ धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं ।

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