सूत्रों की मानें तो बाजार में महंगी दवाएं बेचने की वजह से स्टाक में जो कमी आई उसे पूरा करने के लिए मंडला से दवाओं की खेप मंगा कर स्टोर मेंं रखी गई। बताया गया है कि लाखों के घोटाले को हजारों का साबित करने के लिए घोटालेबाज कर्मचारियों और अफसरों ने कई अन्य जगहों से दवाएं मंगा कर स्टाक में रख कर अपनी ओर से बचाव के पूरे प्रयास किए हैं। दूसरी ओर जिला अस्पताल के स्टाफ की मानें तो पिछले ३ सालों से दवा घोटाला चल रहा था जिसकी यदि बारीकी से जांच की जाए तो घोटाला करीब ५५ लाख तक पहुंच सकता है। गौरतलब है कि कलेक्टर दीपक सक्सेना ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर जांच कराने का आग्रह किया था जिस पर भोपाल से एक टीम यहां जांच करने आई। इससे पूर्व कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच के बाद फार्मासिस्ट अमित तिवारी, स्टोर प्रभारी राजकुमार शिववेदी को सस्पेंड किया जा चुका है और बुधवार को सिविल सर्जन डॉ.विजय मिश्रा को पद से हटा कर डॉ.प्रदीप धाकड़ को सिविल सर्जन पद का अस्थाई प्रभार सौंपा गया है।