पाला पडऩे से फसलों को बचाव ये करें किसान
पाला पडऩे का पूर्वानुमान होने पर खेत में शाम को सूखी घास-फूस, सूखी टहनिया, पत्तियां, पुआल एवं गोबर के उपले आदि में आग लगाकर धुआं करना चाहिए।
– खेत में हल्की सिंचाई करनी चाहिए, ताकि भूमि एवं वायुमंडल में नमी की मात्रा बढ़ जाए। इससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंचता और फसल पर पाले का असर नहीं होता है।
– फव्वारा सिंचाई की सुविधा हो तो दो घंटे फव्वारा चलाकर हल्की सिंचाई कर सकते है।
– पाला पडऩे का पूर्वानुमान होने पर 1000 लीटर पानी में 1 लीटर गंधक के तनु अम्ल का घोल बनाकर छिड़काव करें। इससे पौधों की कोशिकाओं में पाला सहन करने की क्षमता बढ़ जाती है। कोशिकाओं के अंदर का जल जम नहीं पाता है।
– डाई मिथाइल सल्फो ऑक्साइड का फसल में 50 प्रतिशत फूल आने पर 78 ग्राम प्रति हेक्टेयर 700 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
पाला पडऩे का पूर्वानुमान होने पर खेत में शाम को सूखी घास-फूस, सूखी टहनिया, पत्तियां, पुआल एवं गोबर के उपले आदि में आग लगाकर धुआं करना चाहिए।
– खेत में हल्की सिंचाई करनी चाहिए, ताकि भूमि एवं वायुमंडल में नमी की मात्रा बढ़ जाए। इससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंचता और फसल पर पाले का असर नहीं होता है।
– फव्वारा सिंचाई की सुविधा हो तो दो घंटे फव्वारा चलाकर हल्की सिंचाई कर सकते है।
– पाला पडऩे का पूर्वानुमान होने पर 1000 लीटर पानी में 1 लीटर गंधक के तनु अम्ल का घोल बनाकर छिड़काव करें। इससे पौधों की कोशिकाओं में पाला सहन करने की क्षमता बढ़ जाती है। कोशिकाओं के अंदर का जल जम नहीं पाता है।
– डाई मिथाइल सल्फो ऑक्साइड का फसल में 50 प्रतिशत फूल आने पर 78 ग्राम प्रति हेक्टेयर 700 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।