नरसिंहपुर

लगातार बढ़ रही ठंड और पाला के बीच जिले में अब फसलों पर असर

नरसिंहपुर। लगातार बढ़ रही ठंड और पाला के बीच जिले में अब फसलों पर असर पडऩे लगा है। जिला मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में पाला लगने से फसलें खराब हो गई है। सबसे ज्यादा पाला का असर नर्मदा किनारे स्थित अंचलों पर दिखाई पड़ रहा है। तराई वाले स्थानों पर फसलें खराब होने की आशंका बढ़ गई है। इसके अलावा आलू, टमाटर और भटा की फसलों पर भी पाला का असर दिखाई पड़ रहा है।

नरसिंहपुरDec 30, 2018 / 09:43 pm

ajay khare

The collector takes care of the worsening crops

नरसिंहपुर। लगातार बढ़ रही ठंड और पाला के बीच जिले में अब फसलों पर असर पडऩे लगा है। जिला मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में पाला लगने से फसलें खराब हो गई है। सबसे ज्यादा पाला का असर नर्मदा किनारे स्थित अंचलों पर दिखाई पड़ रहा है। तराई वाले स्थानों पर फसलें खराब होने की आशंका बढ़ गई है। इसके अलावा आलू, टमाटर और भटा की फसलों पर भी पाला का असर दिखाई पड़ रहा है।
रविवार सुबह खराब फसलों की जानकारी मिलने पर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने तेंदूखेड़ा तहसील के मर्रावन, गुटौरी सहित अन्य गावों में खेतों का जायजा लिया। यहां किसानों ने पाले से खराब हो रही अरहर फसल से कलेक्टर को अवगत कराया। किसानों ने यह भी बताया कि फसलों तीन से चार दिन में काली पडऩे लगेंगी। इस दौरान कलेक्टर ने किसानों को आश्वासन दिया कि खराब फसलों का आंकलन किया जाएगा और किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। कलेक्टर ने तुअर, मसूर, चना आदि की फसलों को खेतों में जाकर देखा। उन्होंने भटा, टमाटर, लौकी आदि की फसलों का भी खेतों में अवलोकन किया। उन्होंने मर्रावन में कृषक सुरेश गौंड़, गयाप्रसाद, सुगरलाल से फसलों की स्थिति के बारे में चर्चा कर पाला के कारण फसल को हुये नुकसान के बारे में जानकारी ली। कलेक्टर ने अन्य किसानों से भी चर्चा की। इस दौरान एसडीएम तेंदूखेड़ा आरएस राजपूत, नायब तहसीलदारए ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, राजस्व अधिकारी, पटवारी अन्य अधिकारी और कृषक मौजूद थे।
दिनभर निरीक्षण करते रहे एसडीएम
खराब फसलों का मुआवना करने के लिए कलेक्टर सक्सेना ने नरसिंहपुर और गाडरवारा एसडीएम को खेतों का मुआवना करने के निर्देश दिए। दोनों एसडीएम दिनभर खेतों का जायजा लेते रहे और देरशाम जिले में फसलों पर पड़े असर से कलेक्टर को अवगत कराया।
टीम गठित, पहुंचेगी खेतों पर
जानकारी के अनुसार पाला से खराब हो रही फसलों की जानकारी आने के बाद कृषि और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम का गठन किया गया है। ये टीम खेतों में नुकसान का आकलन करेगी।
खेतों में बिछी ओस की चादर
गोटेगांव क्षेत्र के किसानों ने बताया कि छिदोरीहार में मौजूद खेतों में रविवार को तड़के ओस की चादर फसल पर छाई रही है। वहीं कुछ इलाके में पाला तक लग चुका है। आलू, भटा के पौधों के पत्ते मुरझा गए है। स्कूलों में पढऩे आने वाले बच्चों को ठंड को देखते हुए धूप में बैठाकर पढ़ाई करवा रहे हंै।
पाला पडऩे से फसलों को बचाव ये करें किसान
पाला पडऩे का पूर्वानुमान होने पर खेत में शाम को सूखी घास-फूस, सूखी टहनिया, पत्तियां, पुआल एवं गोबर के उपले आदि में आग लगाकर धुआं करना चाहिए।
– खेत में हल्की सिंचाई करनी चाहिए, ताकि भूमि एवं वायुमंडल में नमी की मात्रा बढ़ जाए। इससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंचता और फसल पर पाले का असर नहीं होता है।
– फव्वारा सिंचाई की सुविधा हो तो दो घंटे फव्वारा चलाकर हल्की सिंचाई कर सकते है।
– पाला पडऩे का पूर्वानुमान होने पर 1000 लीटर पानी में 1 लीटर गंधक के तनु अम्ल का घोल बनाकर छिड़काव करें। इससे पौधों की कोशिकाओं में पाला सहन करने की क्षमता बढ़ जाती है। कोशिकाओं के अंदर का जल जम नहीं पाता है।
– डाई मिथाइल सल्फो ऑक्साइड का फसल में 50 प्रतिशत फूल आने पर 78 ग्राम प्रति हेक्टेयर 700 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

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