बता दें कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में जब संक्रमित मरीज एक-एक सांस के लिए संघर्ष कर रहे थे तभी जिला अस्पताल के लिए केंद्र सरकार की योजना के तहत भारतीय रक्षा एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) ने प्रति मिनट एक हजार लीटर आक्सीजन उत्पादित करने वाला प्लांट स्वीकृत किया था। इस प्लांट को मई में ही चालू हो जाना था। योजना के तहत इंजीनियरों ने पूरी मुस्तैदी से प्लांट को जिला अस्पताल में स्थापित भी कर दिया है। हर बेड तक ऑक्सीजन पाइप लाइन भी बिछा दी गई है। बिजली कनेक्शन के लिए ट्रांसफार्म तक लग गया है। लेकिन ट्रांसफॉर्मर से प्लांट तक की बिजली सप्लाई का मामला अटका है। इसकी अभी टेस्टिंग तक नहीं हो सकी है जिसके चलते प्लांट अब तक चालू नहीं हो सका है।
बताया जा रहा है कि इस आक्सीजन प्लांट को चलाने में बिजली की ज्यादा खपत होगी। ऐसे में इसके लिए जो ट्रांसफॉर्मर लगाया गया है, उससे होने वाली बिजली की आपूर्ति सतत और सुरक्षित है, इसका प्रमाण पत्र बिजली विभाग को देना है। कहा यह भी जा रहा है कि ट्रांसफॉर्मर लगने के बाद बिजली विभाग की एक सिक्योरिटी टीम को यहां पर करंट की टेस्टिंग करने के लिए आना था, जो अब तक नहीं आई है। जानकारों के अनुसार करंट टेस्टिंग के बाद विद्युत आपूर्ति सुरक्षित घोषित होने के दो दिन में प्लांट चालू हो जाएगा।
“जिला अस्पताल में डीआरडीओ का आक्सीजन प्लांट बनकर तैयार है। बिजली आपूर्ति करने के लिए ट्रांसफॉर्मर भी स्थापित हो चुका है लेकिन करंट की टेस्टिंग करने वाली सिक्योरिटी टीम अब तक नहीं पहुंची है। बिजली विभाग जब करंट की टेस्टिंग कर लेगा, तो उसके दो-तीन दिन में प्लांट शुरू हो जाएगा। करंट टेस्टिंग के लिए बिजली विभाग से लगातार संपर्क किया जा रहा है।’-डॉ. मुकेश जैन, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नरसिंहपुर।