शुगर मिल संचालकों के प्रस्ताव पर कराया था परीक्षण
यहां के किसान जब रेट बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे तब शुगर मिल संचालकों ने ही यह प्रस्ताव रखा था कि शुगर रिकवरी के आधार पर रेट देंगे लिहाजा लैब में परीक्षण करा लिया जाए। उनके ही प्रस्ताव पर जब गन्ना जांच के लिए भेजे गए तो करेली के जोवा गांव के किसान नेता विश्वास परिहार के गन्ना की शुगर रिकवरी १३.८८ प्रतिशत आई। प्रशासन ने मीडिया को केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के पत्र का हवाला दिया है। जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि बेसिक रिकवरी ९.५ प्रतिशत होने पर २५५ रुपए एफआरपी दिया जाना है जबकि इससे ०.१ प्रतिशत की वृद्धि होने पर प्रति ०.१ प्रतिशत २ रुपए ६८ पैसे की वृद्धि कर भुगतान किया जाएगा। इस हिसाब से १३.८८ प्रतिशत शुगर रिकवरी वाले गन्ना का मूल्य ३१८ रुपए ६० पैसा प्रति क्विंटल होता है। जबकि फिलहाल किसानों को ३०० रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जा रहा है। जिस तरह पिछले दिनों शुगर मिल मालिकों के साथ बैठक में अधिकारी मिल मालिकों के सामने गन्ना का रेट महज ५ रुपए बढ़ाने की मिन्नतें करते नजर आए और मिल संचालकों ने साफ मना कर दिया उससे यह स्पष्ट हो गया कि शासन- प्रशासन शुगर मिल लॉबी के आगे घुटने टेक चुका है और किसानों के हित में कुछ ठोस निर्णय करा पाने में असहाय है।
यहां के किसान जब रेट बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे तब शुगर मिल संचालकों ने ही यह प्रस्ताव रखा था कि शुगर रिकवरी के आधार पर रेट देंगे लिहाजा लैब में परीक्षण करा लिया जाए। उनके ही प्रस्ताव पर जब गन्ना जांच के लिए भेजे गए तो करेली के जोवा गांव के किसान नेता विश्वास परिहार के गन्ना की शुगर रिकवरी १३.८८ प्रतिशत आई। प्रशासन ने मीडिया को केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के पत्र का हवाला दिया है। जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि बेसिक रिकवरी ९.५ प्रतिशत होने पर २५५ रुपए एफआरपी दिया जाना है जबकि इससे ०.१ प्रतिशत की वृद्धि होने पर प्रति ०.१ प्रतिशत २ रुपए ६८ पैसे की वृद्धि कर भुगतान किया जाएगा। इस हिसाब से १३.८८ प्रतिशत शुगर रिकवरी वाले गन्ना का मूल्य ३१८ रुपए ६० पैसा प्रति क्विंटल होता है। जबकि फिलहाल किसानों को ३०० रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जा रहा है। जिस तरह पिछले दिनों शुगर मिल मालिकों के साथ बैठक में अधिकारी मिल मालिकों के सामने गन्ना का रेट महज ५ रुपए बढ़ाने की मिन्नतें करते नजर आए और मिल संचालकों ने साफ मना कर दिया उससे यह स्पष्ट हो गया कि शासन- प्रशासन शुगर मिल लॉबी के आगे घुटने टेक चुका है और किसानों के हित में कुछ ठोस निर्णय करा पाने में असहाय है।
प्रशासन ने यह दी सफाई
गन्ना विभाग के सहायक संचालक डॉक्टर अभिषेक दुबे की ओर से जारी किए गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि किसानों को गन्ने का उचित मूल्य दिलाना जिला प्रशासन के हाथ में नहीं है । किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए जन प्रतिनिधियों, किसान संगठनों, किसानों एवं मिल प्रबंधन के साथ दो बैठकें आयोजित की गईं जिसमें उचित रेट दिलाने के लिए अभी तक आम सहमति नहीं बन पाई है। जिला प्रशासन ने अपनी कमजोरी उजागर करते हुए और मिल मालिकों का पक्ष रखते हुए कहा है कि मिल प्रबंधन द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि प्रारंभिक स्तर पर शुगर रिकवरी अधिक नहीं निकलती जिससे अधिक मूल्य देना संभव नहीं है । जैसे जैसे शुगर रिकवरी बढ़ेगी वह गन्ने का दाम बढ़ाते जाएंगे।
गन्ना विभाग के सहायक संचालक डॉक्टर अभिषेक दुबे की ओर से जारी किए गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि किसानों को गन्ने का उचित मूल्य दिलाना जिला प्रशासन के हाथ में नहीं है । किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए जन प्रतिनिधियों, किसान संगठनों, किसानों एवं मिल प्रबंधन के साथ दो बैठकें आयोजित की गईं जिसमें उचित रेट दिलाने के लिए अभी तक आम सहमति नहीं बन पाई है। जिला प्रशासन ने अपनी कमजोरी उजागर करते हुए और मिल मालिकों का पक्ष रखते हुए कहा है कि मिल प्रबंधन द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि प्रारंभिक स्तर पर शुगर रिकवरी अधिक नहीं निकलती जिससे अधिक मूल्य देना संभव नहीं है । जैसे जैसे शुगर रिकवरी बढ़ेगी वह गन्ने का दाम बढ़ाते जाएंगे।