गौरतलब है कि यहां की 8 मिलों में से तीन मिलें कांग्रेस नेताओं की हैं जो अपनी ही सरकार का आदेश नहीं मान रहे। गन्ना किसानों की उचित रेट की मांग कई सालों से चली आ रही है पिछले साल भाजपा सरकार में भी किसानों को सही रेट न मिलने पर किसानों ने कई आंदोलन किए थे जिसके बाद गन्ना का रेट थोड़ा बढ़ाया गया था। इस बार जबकि कांगे्रस सरकार के वचन पत्र में यह शामिल था कि न केवल किसानों को रिकवरी के आधार पर उचित दाम दिलाए जाएंगे बल्कि उन्हें बोनस भी दिया जाएगा, यह सरकार अभी तक अपना यह वादा पूरा कराने में असफल साबित हुई है।
शासन के आदेश के बाद शुगर मिल संचालक हाईकोर्ट गए जहां से उन्हें किसी तरह का कोई स्टे नहीं मिला। सूत्रों की मानें तो एक बड़े राजनीतिक दल के प्रभावशाली नेता शासन के आदेश का सख्ती से पालन नहीं होने दे रहे हैं। खत्म होने को है सीजन-जिले में गन्ना का सीजन खत्म होने को है बमुश्किल 15 दिन बाद गन्ना की आवक और पिराई बंद हो जाएगी। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि काफी कम रेट पर मिलों द्वारा गन्ना खरीदा जा रहा है और किसानों को उनके गन्ने का पूरा दाम नहीं मिल रहा। किसानों को इस बार भी शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।
बढ़े शकर के रेट-शुगर मिल मालिक किसानों को उचित दाम न देने के पीछे बाजार में शकर के दाम कम होने का रोना रोते आए हैं। इधर बाजार में शकर के रेट बढकऱ 3400 रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं और केंद्र सरकार ने न्यूनतम विक्रय मूल्य 200 रुपए बढ़ाकर 3150 तय कर दिया है जो पहले 2950 था। इसके बावजूद शुगर मिल मालिक किसानों को सही रेट नहीं देना चाहते।
इनका कहना है
गन्ना किसानों के मामले को भोपाल तक ले जाने वाले किसान संघर्ष समिति के सदस्य विनायक परिहार का कहना है कि जिस तरह से सख्ती दिखाने के बाद शासन ने चुप्पी साध ली है उससे तो यही लगता है कि यह सरकार भी पूर्ववर्ती सरकारों की तरह किसानों के साथ न्याय नहीं कर सकेगी।
विनायक परिवाहर, सदस्य किसान संघर्ष समिति
गन्ना किसानों को 294 रुपए 20 पैसे प्रति क्विंटल की दर से भुगतान दिलाने के लिए शासन प्रतिबद्ध है। इस संबंध में कार्रवाई चल रही है। शीघ्र ही निर्णय हो जाएगा। किसानों द्वारा मिलों को बेचे गए गन्ना का इसी रेट से पूरा भुगतान कराया जाएगा।
दीपक सक्सेना, कलेक्टर