बता दें कि जिले के नरसिंहपुर, करेली और गोटेगांव तहसील में मक्के का रकबा सबसे ज्यादा है। इसके चलते इन तीनों ही तहसीलों की मंडियों में मक्के की आवक भी ज्यादा है। बावजूद इसके किसानों में मायूसी है कि उन्हें उनके उत्पाद का वाजिब दाम नहीं मिल रहा। वो अन्य फसलों की तर्ज पर मक्के के लिए भी समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि समर्थन मूल्य घोषित न होने से उनकी उपज को अच्छे दाम नहीं मिल रहा। किसान इससे भी मायूस हैं उनकी समस्या पर शासन-प्रशासन की भी निगाह नहीं है।
जानकारी के अनुसार शुक्रवार को नरसिंहपुर मंडी में करीब आठ हजार क्विंटल मक्का की आवक रही लेकिन दाम 1200 रुपये प्रति क्विंटल से शुरू होकर 1600 रुपये प्रति क्विंटल तक ही पहुंच सका। ये हाल तब है जब इस मंडी में अन्य सभी उपज का बेहतर दाम मिल रहा है लेकिन मक्के का भाव नहीं चढ रहा। ऐसे में उन्हें औने-पौने दाम पर ही अपना उत्पाद बेचना पड़ रहा है।
नरसिंहपुर मंडी ही नहीं करेली मंडी में भी शुक्रवार को मक्के की आवक बढ़िया रही। पर यहां भी भाव ऊपर नहीं चढ़ सका। एक हजार रुपये प्रति क्विंटल से शुरू होकर 1505 रुपये प्रति क्विंटल पर जाकर टूट गया। बताया जा रहा है कि यहीं एक दिन पहले मक्के की बोली 888 रुपये प्रति क्विंटल से शुरू हुई जो 1601 रुपये प्रति क्विंटल की दर तक पहुंची थी। किसानों का कहना है कि मंडियों में उपज की अधिक आवक भी भाव ऊपर नहीं चढ़ने का बड़ा कारण है। अब उनके पास दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है, जिसके चलते औने-पौने भाव माल बेचना उनकी मजबूरी बन गई है।