बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश का नरसिंहपुर ही ऐसा जिला था जहां सबसे पहले लॉकडाउन घोषित किया गया। जिला प्रशासन लगातार सख्ती बरतता रहा। नतीजा रहा कि लॉकडाउन 62 दिन तक यहां एक भी पॉजिटिव केस नहीं मिले। लेकिन 63वें दिन एक पॉजिटिव केस मिल ही गया।
तेंदूखेड़ा तहसील के नादिया बिल्हरा गांव निवासी तीन दिन पहले ही ई-पास से अहमदाबाद से नरसिंहपुर आया था। उसके आने के साथ ही प्रशासन अलर्ट मोड में था। यहां उसकी जांच के बाद आई रिपोर्ट ने प्रशासन की नींद उड़ा दी। -फानन में पूरा सरकारी अमला देर रात गांव में पहुंचा और थाना प्रभारी सहित बड़ी तादाद में फोर्स तैनात कर दी गई। गांव को कंटेन्मेंट जोन घोषित कर दिया गया। अफसर देर रात तक बैठक करते रहे।
बता दें कि गत 20 मई को अहमदाबाद गुजरात से दो गाड़ियो में तेंदूखेड़ा के नादिया बिल्हरा व ईश्वरपुरा गांव के 19 लोग नरसिंहपुर पहुंचे। इन सभी की प्रारंभिक जांच कर उन्हें संस्थागत क्वारंटीन करने की बजाय होम क्वारंटीन कर दिया गया। अब कहा जा रहा है कि उन 19 लोगों में से ही दो के कोरोना सैंपुल जांच के लिए भेजे गए थे जिसमें से एक की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। बताया जा रहा है कि जिस मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है उसकी पत्नी और दो छोटे बच्चे भी उसी घर में हैं।
होम क्वारंटीन युवक की मौत इस बीच तीन दिन पहले शासकीय क्वारंटीन सेंटर से जांच के बाद होम क्वारंटीन किए गए 19 वर्षीय छात्र की शनिवार की सुबह मौत हो गई। एहतियात के तौर पर उसके घर के सभी सदस्यों को क्वारंटीन कर दिया है। मृत छात्र और उसके परिजनों के कोरोना सैंपुल लिए गए हैं। रिपोर्ट आने तक शव को सुरक्षित रखा गया है। अंतिम क्रिया भी रिपोर्ट आने के बाद ही होगी।
यहां बता दें कि उक्त छात्र 12वीं का छात्र था। होशंगाबाद के संकल्प विद्यालय मालाखेड़ी में पढ़ रहा था। वह ई-पास के जरिए आया था। उसे स्कूल प्रबंधन गांव-घर तक छोड़ गया था। 21 मई को सालीचौका नगर के क्वारंटीन सेंटर गोकुल पैलेस में आवश्यक जांच के बाद उसे होम क्वारंटीन किया गया था। शनिवार की सुबह 8-9 के बीच संदिग्ध हाल में उसकी मौत हो गई।