हमेेशा के लिए विदा हुआ फ्लोटिंग पुल अब पक्के पुल से आवागमन
पिछले एक दशक तक बरमान में मकर संक्रांति पर आयोजित किए जाने वाले मेेला का एक मुख्य आकर्षण यहां अस्थाई रूप से बनाया जाने वाला फ्लोटिंग पुल हुआ करता था। लोहे के बैरल से बनाये जाने वाले इस पुल को नदी में खड़ा करने के कई दिन तक काम चलता था।

नरसिंहपुर. पिछले एक दशक तक बरमान में मकर संक्रांति पर आयोजित किए जाने वाले मेेला का एक मुख्य आकर्षण यहां अस्थाई रूप से बनाया जाने वाला फ्लोटिंग पुल हुआ करता था। लोहे के बैरल से बनाये जाने वाले इस पुल को नदी में खड़ा करने के कई दिन तक काम चलता था। जिससे लोग सीढ़ी घाट से रेत घाट तक आना जाना करते थे। मेला खत्म होने के बाद इसे हटा लिया जाता था। कम से कम १० सालों तक लोगों ने नर्मदा में तैरने वाले इस फ्लोटिंग पुल से इस पार से उस पार जाने का आनंद लिया पर इस वर्ष से यह पुल हमेशा के लिए विदा हो गया। यह पहला मेला है जब लोग अब पक्के पुल से इधर से उधर जा रहे हैं। अखिलेश श्रीवास्तव बताते हैं कि वे १९७४ से लगातार इस मेला का आनंद लेते रहे। पहले बल्ली, बांस एवं मिट्टी का कच्चा पुल बनता था फिर लोहे का कैप्सूल पुल बनाया जाने लगा। दोनों पुलों पर चलते समय मां नर्मदा की बहती धारा को निकट से देखने का आनंद ही कुछ और था। ७० एवं 80 के दशक में बरमान में कमला सर्कस समेत मनोरंजन के कई अनोखे करतब देखने को मिलते थे। लोग दूर दूर से बैलगाड़ी से आकर 2-३ दिन ठहरते थे। इस बार पहली बार कोरोना के कारण मेला अपने वास्तविक रूप में नहीं है।
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