scriptपानी में कहीं फ्लोराइड कहीं नाइट्रेट बना स्वास्थ्य का दुश्मन | Fluoride somewhere in the water somewhere nitrate, the enemy of health | Patrika News

पानी में कहीं फ्लोराइड कहीं नाइट्रेट बना स्वास्थ्य का दुश्मन

locationनरसिंहपुरPublished: May 01, 2019 09:16:42 pm

Submitted by:

ajay khare

बचई के आसपास पहाड़ी क्षेत्रों में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है तो शहरी क्षेत्र में नाइट्र्रेट की मात्रा निर्धारित मानक से ज्यादा होने से लोग बीमार हो रहे हैं

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नरसिंहपुर. मिट्टी में बढ़ते प्रदूषण की वजह से भूजल में हानिकारक तत्वों की मात्रा बढ़ती जा रही है जिससे लोगों के स्वास्थ्य को खतरा निर्मित हो गया है। बचई के आसपास पहाड़ी क्षेत्रों में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है तो शहरी क्षेत्र में नाइट्र्रेट की मात्रा निर्धारित मानक से ज्यादा होने से लोग बीमार हो रहे हैं।
शासकीय जिला जल परीक्षण प्रयोगशाला की रिपोर्ट के मुताबिक बचई के पहाड़ी क्षेत्र में पानी के जो सेम्पल जांच के लिए आ रहे हैं उनमें फ्लोराइड की मात्रा १.७ पीपीएम मिल रही है जो निर्धारित मानक १.५ पीपीएम से कहीं ज्यादा है। इस वजह से यहां के लोगों में फ्लोरिसिस की समस्या देखने को मिल रही है। यहां के लोग दांतों में पीलापन, मसूढों में समस्या व हड्डियों से संबंधित बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
शहरी क्षेत्र में जो निजी व शासकीय बोर कराए जा रहे हैं उनके पानी के परीक्षण में कई जगहों पर पानी में नाइट्रेट की मात्रा स्वास्थ्य के लिहाज से काफी ज्यादा निकल रही है। एक लीटर पानी में यदि नाइट्रेट की मात्रा ४५ मिलीग्राम से ज्यादा होती है तो उसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। शहर के अलग अलग क्षेत्रों में कराए गए निजी व शासकीय बोर के पानी का परीक्षण कराए जाने पर उनमें नाइट्रेट की मात्रा ५० से ५५ मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाई गई है। जानकारी के मुताबिक शहर में कराए जा रहे नए बोर में पचास फीसदी बोर में नाइट्रेट की मात्रा ज्यादा पाई जा रही है।
बच्चों और बड़ों के लिए घातक है नाइट्रेट की ज्यादा मात्रा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पानी में नाइट्रेट की ज्यादा मात्रा बच्चों और बड़ों दोनों के लिए हानिकारक है, बच्चों में इससे शरीर में नीले रंग के चकत्ते पडऩे वाली बीमारी ब्लू बेबी सिंड्रोम होती है, यह दुधमुंहे बच्चों के पाचन संस्थान और श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है साथ ही बड़ों में आंतों के कैंसर, मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है, इसकी ज्यादा मात्रा हीमोग्लोबिन का स्वरूप बिगाड़ देती है जिससे ऊतकों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती। नाइट्रेट मुख्यत: अकार्बनिक है और यह ऑक्सीडायजिंग एजेंट का काम करता है और विस्फोट बनाने में इसका इस्तेमाल होता है।
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वर्जन
फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा से फ्लोरिसिस की समस्या होती है इसकी शिकायत ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में होती है जबकि नाइट्रेट की ज्यादा मात्रा से बच्चों में ब्लू बेबी सिंड्रोम की समस्या सामने आती है।
डॉ.संजीव चांदोरकर, हृदय रोग विशेषज्ञ
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वर्जन
बचई क्षेत्र में पानी में फ्लोराइड की मात्रा निर्धारित मानक से ज्यादा पाई जा रही है। जिला मुख्यालय पर शहरी क्षेत्र में जो बोर कराए गए हैं उनकी जल जांच में पचास फीसद सेंपल में नाइट्रेट की मात्रा निर्धारित से ज्यादा पाई गई है।
आरपी सराठे, प्रयोगशाला सहायक, जिला जल परीक्षण प्रयोगशाला
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