विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पानी में नाइट्रेट की ज्यादा मात्रा बच्चों और बड़ों दोनों के लिए हानिकारक है, बच्चों में इससे शरीर में नीले रंग के चकत्ते पडऩे वाली बीमारी ब्लू बेबी सिंड्रोम होती है, यह दुधमुंहे बच्चों के पाचन संस्थान और श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है साथ ही बड़ों में आंतों के कैंसर, मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है, इसकी ज्यादा मात्रा हीमोग्लोबिन का स्वरूप बिगाड़ देती है जिससे ऊतकों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती। नाइट्रेट मुख्यत: अकार्बनिक है और यह ऑक्सीडायजिंग एजेंट का काम करता है और विस्फोट बनाने में इसका इस्तेमाल होता है।
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वर्जन
फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा से फ्लोरिसिस की समस्या होती है इसकी शिकायत ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में होती है जबकि नाइट्रेट की ज्यादा मात्रा से बच्चों में ब्लू बेबी सिंड्रोम की समस्या सामने आती है।
डॉ.संजीव चांदोरकर, हृदय रोग विशेषज्ञ
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वर्जन
बचई क्षेत्र में पानी में फ्लोराइड की मात्रा निर्धारित मानक से ज्यादा पाई जा रही है। जिला मुख्यालय पर शहरी क्षेत्र में जो बोर कराए गए हैं उनकी जल जांच में पचास फीसद सेंपल में नाइट्रेट की मात्रा निर्धारित से ज्यादा पाई गई है।
आरपी सराठे, प्रयोगशाला सहायक, जिला जल परीक्षण प्रयोगशाला
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