पूरे जिले में ओडीएफ का मिशन जोर-शोर से लगभग एक साल से अधिक समय तक चला। इसी के साथ झाडू थाम कर स्वच्छता अभियान चलाना, फोटो खिंचवाना आम हो गया। हालांकि क्षेत्र की अनेक ग्राम पंचायतों में स्वच्छता को सामाजिक सरोकार से जोड़कर अच्छा काम हुआ है लेकिन अनेक ग्राम पंचायतों के हाल इतने बेहाल हैं कि खुद पंचायत भवन ही गंदगी के साये में हैं। जनपद सांईखेड़ा के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत नांदनेर में स्वच्छ भारत अभियान नदारद बताया जाता है। यहां खुद पंंचायत भवन ही लापरवाही, बदहाली के साये में है। ग्राम पंचायत नांदनेर की स्वच्छता से उदासीनता उस वक्त पुन: उजागर हुई, जब मंगलवार को मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना अंतर्गत पंचायत भवन में विद्युत मंडल द्वारा बिल माफी के लिए स्टॉल लगाया जाना था। ग्राम पंचायत की उदासीनता के चलते न ही उन्हें पंचायत की चाबी मुहैया कराई गई और न ही कोई व्यवस्था की गई। यहां तक कि टेबल कुर्सी की व्यवस्था भी बाहर से कराई गई।
ग्रामीणों द्वारा जब मंडल के अधिकारियों की संपूर्ण बैठक व्यवस्था करवा दी गई। तब पंचायत ने ग्राम कोटवार के माध्यम से चाबी पहुंचाई गई। इसके बाद जब पंचायत भवन का ताला खोला गया तो देखा पंचायत में टेबल कुर्सी की ऐसी व्यवस्था दिखी जैसे कई सालों से पंचायत खोली न गई हो। पूरे भवन में जगह-जगह मकड़ी के जाले, टेबल कुर्सी पर धूल की मोटी परत ग्राम पंचायत की उदासीनता नहीं तो और क्या सिद्ध करती है। ग्रामीणों ने इस ओर ध्यान देने की बात कही गई है।