scriptनगर में आस्था से मनाया गया गणगौर त्यौहार | Ganagaur festival celebrated with faith in the city | Patrika News

नगर में आस्था से मनाया गया गणगौर त्यौहार

locationनरसिंहपुरPublished: Apr 10, 2019 05:18:08 pm

Submitted by:

ajay khare

भारतीय नववर्ष विक्रम संवत, चैत्र मास की तृतीया पर राजस्थानी मारवाड़ की लोक कथाओं परंपराओं के तहत मनाए जाने वाले पर्वों की श्रंखला में गणगौर पर्व मनाया जाता है। इस मंगल पर्व पर ईसरजी (भगवान शंकर) व गणगौर जी (पार्वती) का पूजन अर्चन के साथ व्रत, उपवास, गीत आदि कार्यक्रम महिलाओं द्वारा अपने अखंड सौभाग्य, परिवार व देश की समृद्धि शांति संपन्नता के लिए वर्षों से मनाया जाता है।

Gangour

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गाडरवारा। भारतीय नववर्ष विक्रम संवत, चैत्र मास की तृतीया पर राजस्थानी मारवाड़ की लोक कथाओं परंपराओं के तहत मनाए जाने वाले पर्वों की श्रंखला में गणगौर पर्व मनाया जाता है। इस मंगल पर्व पर ईसरजी (भगवान शंकर) व गणगौर जी (पार्वती) का पूजन अर्चन के साथ व्रत, उपवास, गीत आदि कार्यक्रम महिलाओं द्वारा अपने अखंड सौभाग्य, परिवार व देश की समृद्धि शांति संपन्नता के लिए वर्षों से मनाया जाता है। महिलाएं सौभाग्य श्रंगार के साथ सजधज कर उत्साह और उमंग से त्यौहार में शामिल होकर परंपराओं को बनाए रखने में वर्षों बाद भी अग्रणी है। नगर में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी यह उत्सव आस्था के साथ मनाया गया। जिसमें माहेश्वरी समाज की महिलाओं ने बसंत जोशी (कन्नू महाराज) एवं रामकुमार काबरा के यहां चल प्रतिमाएं स्थापित कर तीन दिन तक मान्यताओं के अनुरूप पूजा अर्चना की गई। ईसर गणगौर प्रतिमाओं जो काष्ठ की बनी रहती हैं उन्हें कार्यक्रम के अंतिम दिन मंगलवार को शोभायात्रा निकालकर पुरानी गल्लामंडी में एकत्र होकर समापन की बेला में झाला वारना के नाम से विख्यात स्वागत, विदाई, सौभाग्य कामना के परंपरागत मंगल गीतों का सामूहिक आयोजन हुआ। इस अवसर पर माहेश्वरी समाज के पुरुष वर्ग ने भी उपस्थित रहकर आयोजन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। माहेश्वरी महिला मंडल की अध्यक्ष स्नेहा काबरा ने बताया गणगौर पर्व पर मुख्य रूप से शंकर पार्वती के रूप में पूजन किया जाता है। वास्तव में इसकी शुरुआत होली के दिन से होती है। प्रत्येक घर में मिट्टी की प्रतिमा व जवारे की स्थापना की जाती है। सामूहिक रूप से तीन दिवसीय कार्यक्रम होता है। तदोपरांत उत्सव प्रतिमाओं को मंदिर में रख दिया जाता है। जवारे एवं मिट्टी की छोटी प्रतिमाएं विसर्जित किए जाते हैं। उल्लेखनीय है गणगौर उत्सव में पालीवाल, ओसवाल, राजस्थानी ब्राह्मण महिलाएं शामिल होती है राजस्थानी सोनी समाज भी इस प्रकार का आयोजन करता है।
अग्रवाल समाज ने मनाया गणगौर पर्व
अग्रवाल समाज महिला मंडल द्वारा दो दिवसीय गणगौर पर्व मनाया गया। जिसके प्रथम दिन स्थापना पूजन की गई। दूसरे दिन श्रीदेव लाडो मोदन मंदिर से शोभायात्रा जुलूस निकाला गया। जिसका नगर भ्रमण कर बांके बिहारी मंदिर में समापन किया गया। आयोजन में अग्रवाल युवा परिषद का सहयोग प्राप्त हुआ।

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