मां नर्मदा के प्राकट्योत्सव के जश्न की तैयारियां जोरों पर, घर-घर तैयार हो रहा ये खास दीपक
-एक संगठन ने की है दो हजार विशिष्ट दीपों से बरमान घाट को जगमग करने की तैयारी

नरसिंहपुर. मां नर्मदा प्राकट्योत्सव के जश्न की तैयारियां अब अंतिम दौर में हैं। बता दें कि 19 फरवरी को मां का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। जिले के बरमान घाट पर मनेगा जश्न, होगा पूजन-अर्चन और दीपदान। दीपदान के लिए जिले के इस परिवार ने इस बार खास तरीके के करीब दो हजार दीपक तैयार कराए हैं। यह दीपक इको-फ्रेंडली है। साथ ही जलीय जीवों के लिए खाद्य पदार्थ के रूप में काम आता है। इससे प्रदूषण की कोई गुंजाइश नहीं रहती है।

यहां बता दें कि नरसिंहपुर के कई परिवार और कई संगठन कई साल से पूजन-अर्चन और विशिष्ट समारोहों के लिए आटे का दीपक बना रहे हैं। इसी में एक है रेवा संगठन। यह संगठन पिछले चार साल से नर्मदा प्राकट्योत्सव के लिए आंटे के दीपक बनवा रहा है। इस बार संगठन ने लगभग दो हजार दीपक तैयार करा लिए हैं।
वैसे तो रेवा संगठन पिछले करीब 6 साल से नर्मदा को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए काम कर रहा है। इसी बीच संगठन ने प्राकट्योत्सव के लिए खास तौर पर आंटे का दीपक बनवाने का काम शुरू किया। ये दीपक निःशुल्क वितरित किए जाते हैं। दुकान हो या घाट पर आने वाले श्रद्धालु सभी को मुफ्त में ये दीपक दिये जाते हैं।
इसी आंटे के दीपक को प्रज्ज्वलित किया जाता है। इसके पीछे सोच है कि जितना हो सके प्लास्टिक के दीयों को नकारा जा सके, ताकि पर्यावरण संतुलन बरकरार रह सके। संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी अभिषेक उपाध्याय का कहना है कि करीब 25 बच्चों की मदद से अभी तक 2 हजार से ज्यादा आटे के दिये तैयार करा लिए गए हैं और ग्राम के प्रायः हर घर में महिलाएं, बच्चे आटे के दिए तैयार कर रहे हैं ताकि पूजन-दीपदान के दौरान नर्मदा स्वच्छ रहे। वह बताते हैं कि पहले से दिये तैयार कराने का फायदा यह होता है कि दिये सूख जाते है तो आसानी से वह जल में तैरते रहते हैं और बाद में जब वह जल में घुलते हैं तो मछलियों को भोजन मिल जाता है। कुछ लोग कैमीकल लगाकर दियों को रंग-बिरंगा भी कर देते हैं जो गलत है। इससे जल में कैमीकल तो घुलता ही है साथ ही मछलियां अथवा दूसरे जलीय जीव के लिए भी यह नुकसानदायक साबित होता है। वह कहते हैं कि रेवा सेवा संगठन के सदस्यों ने ऐसी तैयारी की है कि प्रकाट्योत्सव पर घाट पर पूजन के लिए लोगों की भीड़ जुटने पर उन्हें घाट और मां नर्मदा की स्वच्छता के लिए प्रेरित करेंगे। प्रकाट्योत्सव के जरिए अन्य घाटों की स्वच्छता के लिए अभियान चलाकर सफाई करेंगे।
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