प्रधानमंत्री सडक़ योजना के माध्यम से दूसरी बार ओबीसी रोड से गर्रा गांव तक, गोटेगांव से मुरदई गांव तक और मुरदई से बेलखेड़ी गांव तक नए सिरे से रोड का निर्माण कार्य चल रहा है। इन सडक़ों पर चल रहे कार्य का निरीक्षण करने कोई अधिकारी नहीं आ रहे हैं। ऐसे में मौका मिलते ही ठेकेदार डामरीकरण का कार्य प्रारम्भ कर देता है, उसके द्वारा सडक़ मार्ग पर ठीक तरह से गिट्टी नही बिछाई जाती है और रोलर भी नहीं चलाया जाता है। बिना समतल किए ही डामरीकरण का कार्य प्रारम्भ कर दिया जाता है। इसी कारण जहां पर उक्त रोड पर डामरीकरण का कार्य जितने हिस्से में हुआ है वह स्थल डामरीकरण के बाद बैठने लगा है। डामरीकरण सडक़ सरपट की जगह अभी से ऊंची नीची हो गई है। यह नजारा गर्रा रोड और मुरदई से एक किलोमीटर तक किए गए डामरीकरण वाले हिस्से में देखा जा सकता है।
उक्त सडक़ों पर ठीक मोटाई में गिट्टी बिछा कर उस पर अच्छी तरह से रोलिंग करने की बजाय फटाफट डामरीकरण करने का कार्य प्रारम्भ कर दिया जाता है। गोटेगांव मुरदई रोड पर गिट्टी बिछाने का कार्य ही पूरा नहीं किया गया और मुरदई से एक किलोमीटर तक डामरीकरण करने का कार्य पूरा कर दिया। यह कार्य किस तरह से हुआ उसकी बानगी बता रहा है। विभाग गुणवत्ता के साथ दूसरी बार निर्मित हो रही सडक़ को करवाए वरना इनकी भी हालत दूसरी बार निर्मित गोटेगांव जमुनिया और गोटेगांव सांकल रोड की तरह हो जाएगी जहां पर गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ हुआ था।
पांच साल की गारंटी सिर्फ विभाग के लिए जुमला बन गया है यह गारंटी सिर्फ कागजों तक या बोर्ड पर अंकित करने तक ही सीमित रहता है। इसको कार्यरूप में परिणित करने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। गोटेगांव खेड़ा गांव की सडक़ २०१६ में पांच साल की गारंटी के साथ बनाई गई थी। इस सडक़ की दो साल में ही हालत ऐसी हो गई कि उक्त मार्ग पर कई जगह पर गड्ढे निर्मित हो गए हंै। इसके बाद भी इस मार्ग को गारंटी समय सीमा होने के बाद भी ठेकेदार से दुरुस्त कराने की दिशा में विभाग कदम नहीं उठा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि बोर्ड पर पांच साल की गारंटी का स्लोगन अवश्य अंकित करा दिया जाता है, लेकिन वह सडक़ को खराब होने पर सुधरवाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाती है। लोगों ने प्रशासन से मामले की जांच कराने मांग की है।