सनातन की विशेषता इसमें क्षमा नहीं
स्वामीजी ने कहा कि भक्ति का दूसरा उपाय है भगवान को पिता, जगदंबा को अपनी माता मान लो। तीसरा भगवान का सगा बनकर भी उनकी भक्ति कर सकते हैं और चौथा जीव सब नारी हैं भगवान को अपना पति मानकर भक्ति कर सकते हैं। तुम भगवान को भजो ना भजो उससे भगवान को कोई फर्क नहीं पड़ता। आपका अच्छा बुरा आपके पूर्व जन्म का संस्कार है। सनातन की विशेषता है इसमें क्षमा नहीं होती। भले ही क्षमा मांगने की परंपरा है। साक्षात भगवान को भी एक अवतार की गलती का प्रायश्चित दूसरे अवतार में करना पड़ा है।
मां नर्मदा वेदगंगा है
नर्मदा मैया की महिमा का बखान करते हुए स्वामीजी ने कहा कि जो कलियुग में भी क्षीण नहीं हुई ऐसी नर्मदा मैया साक्षात यहां विराजमान हैं। सातों कल्प नष्ट हो गए, नर्मदा ज्यों की त्यों हैं। नर्मदा मैया आपका यह जीवन भी और अगला जन्म भी सुधरवा देगी। मां नर्मदा वेदगंगा हैं। वे अविरल प्रवाहमान हैं, नर्मदा में स्नान करने से उन्हें न कोई लाभ है न कोई हानि है। तुम्हें जरूर तीर्थ स्नान का लाभ मिलता है, पाप क्षीण होते हैं, शरीर शुद्ध होता है। गुरु महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु भले ही शरीर छोड़ दे परंतु गुरु तत्व कभी समाप्त नहीं होता, वह सूक्ष्म जगत में शिष्यों के कल्याण के लिए सदैव व्याप्त रहता है। गुरु तत्व का प्रभाव सदैव विद्यमान रहता है। चौबे धर्मशाला में प्रतिदिन संध्या 7 बजे से 8 बजे तक आयोजित सत्संग, उपदेश में धर्म सरिता का प्रवाह हो रहा है।
स्वामीजी ने कहा कि भक्ति का दूसरा उपाय है भगवान को पिता, जगदंबा को अपनी माता मान लो। तीसरा भगवान का सगा बनकर भी उनकी भक्ति कर सकते हैं और चौथा जीव सब नारी हैं भगवान को अपना पति मानकर भक्ति कर सकते हैं। तुम भगवान को भजो ना भजो उससे भगवान को कोई फर्क नहीं पड़ता। आपका अच्छा बुरा आपके पूर्व जन्म का संस्कार है। सनातन की विशेषता है इसमें क्षमा नहीं होती। भले ही क्षमा मांगने की परंपरा है। साक्षात भगवान को भी एक अवतार की गलती का प्रायश्चित दूसरे अवतार में करना पड़ा है।
मां नर्मदा वेदगंगा है
नर्मदा मैया की महिमा का बखान करते हुए स्वामीजी ने कहा कि जो कलियुग में भी क्षीण नहीं हुई ऐसी नर्मदा मैया साक्षात यहां विराजमान हैं। सातों कल्प नष्ट हो गए, नर्मदा ज्यों की त्यों हैं। नर्मदा मैया आपका यह जीवन भी और अगला जन्म भी सुधरवा देगी। मां नर्मदा वेदगंगा हैं। वे अविरल प्रवाहमान हैं, नर्मदा में स्नान करने से उन्हें न कोई लाभ है न कोई हानि है। तुम्हें जरूर तीर्थ स्नान का लाभ मिलता है, पाप क्षीण होते हैं, शरीर शुद्ध होता है। गुरु महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु भले ही शरीर छोड़ दे परंतु गुरु तत्व कभी समाप्त नहीं होता, वह सूक्ष्म जगत में शिष्यों के कल्याण के लिए सदैव व्याप्त रहता है। गुरु तत्व का प्रभाव सदैव विद्यमान रहता है। चौबे धर्मशाला में प्रतिदिन संध्या 7 बजे से 8 बजे तक आयोजित सत्संग, उपदेश में धर्म सरिता का प्रवाह हो रहा है।