उल्लेखनीय है कि शासन के निर्देश पर बीते साल स्वच्छता अभियान के नाम पर लाखों रूपए की राशि खर्च कर निर्माण कराए गए। इनमें से अधिकांश निर्माण अब व्यर्थ हो गए हैं। शहर में इतवारा बाजार के पास, मुशरान पार्क एवं चिल्ड्रन पार्क में जैविक कचरा प्रबंधन के बाद खाद बनाकर बेचने का मंसूबा महज सपना ही साबित हुआ है। लगभग दो तीन माह पूर्व बनाई गई यूनिट से अभी तक कभी खाद विक्रय नहीं हुआ।
इतवारा बाजार में बनी थी यूनिट
नगरपालिका परिषद के जबाबदार अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा इतवारा बाजार में पेयजल सप्लाई की टंकी के नीचे जैविक कचरा प्रबंधन की यूनिट बनाई गई थी। ईंट से निर्मित तीन टंकियों के माध्यम से जैविक कचरा प्रबंधन का दावा वर्तमान दशा की कहानी स्वयं बयां कर रहा है। टंकियों में मौजूद कुछ कचरा कई महीनों से पड़ा है, जिसका न तो जैविक खाद के रूप में उपयोग हुआ और न ही यहां व्यवस्थित सफाई हो रही है।
आवास और रोज रहती है आवाजाही
जिस स्थान को जैविक कचरा प्रबंधन के लिए चुना गया वह घनी आवासीय बस्ती है। इसके साथ ही यहां प्रतिदिन मंडी में सैकड़ों किसान और सब्जी विक्रेताओं का जमघट भी रहता है। वहीं साप्ताहिक बाजार के दिन इसी स्थान के पास से बाजार में आने वाले लोगों को पेजयल मुहैया कराया जाता है।
महीनों रहे परेशान
जैविक कचरा प्रबंधन स्थल के आसपास पेयजल टंकी परिसर में नगरपालिका के ही कर्मचारी निवास करते हंै। कर्मचारियों के परिवार तो इस मामले में कुछ नहीं बोले लेकिन परिसर के बाहर रहने वाले राजाराम ने बताया कि कुछ महीनों पहले यहां पर बाजार की सड़ी सब्जियां और शहर का अन्य कचरा लाकर डाला गया था जिसकी बदबू से सभी लोग जमकर परेशान रहे। हालांकि अभी बहुत दिनों से कचरा नहीं आने से राहत है।
नगर में लगा कचरों का ढेर
नगरपालिका के कचरा प्रबंधन के हालात जगह-जगह लगे कचरों के ढेर भी उजागर कर रहे हैं। नपा सूत्रों का कहना है कि कचरा प्रबंधन की यूनिट स्थान विशेष से निकलने वाले कचरे का निष्पादन करने के लिए है। वहीं शहर से निकलने वाले कचरे को सांकल रोड स्थित अस्थायी ट्रेचिंग ग्राउंड में ही फेंका जा रहा है।
ओडीएफ के शौचालय भी बदहाल
स्वच्छता अभियान के तहत शहर के विभिन्न वार्डो को बाह्य शौच मुक्त करने के लिए बनाए गए सार्वजनिक शौचालय भी बदहाल है। नगरपालिका के सूत्रों के अनुसार शहर में घनी बस्ती व झुग्गी वाले क्षेत्रों में करीब एक दर्जन ऐसे शौचालय बनाए गए थे जिनका उपयोग आसपास रहने वाले परिवार सामूहिक रूप से कर सकें। कहीं दो तो कहीं चार सीटर शौचालय बनाए गए जिनके पास शौचालय उपयोग के लिए पानी की टंकी भी बनाई गईं थी। हाल यह है कि शौचालय क्षतिग्रस्त हो गए हैं और पानी की टंकियों में दरार आने से कभी भरी नहीं गई।
चल रही मनमानी, नहीं हुई बैठक
नगरपालिका में नेता प्रतिपक्ष शकुन दुबे ने कहा कि परिषद में मनमानी चल रही है। करीब 4 माह से तो बैठक भी नहीं हुई, जिससे यह भी पता नहीं चलता कि कहां क्या हो रहा है? आपके माध्यम से ही मुझे पता चला है कि इतवारा बाजार में जैविक कचरा प्रबंधन की यूनिट बनी है। घनी बस्ती में ऐसा निर्माण गलत है इस संबंध में नपा अध्यक्ष व सीएमओ से चर्चा करेंगे।
इनका कहना है
जैविक कचरा प्रबंधन के लिए करीब 35 हजार की लागत से पानी टंकी के नीचे एक तथा मुशरान पार्क एवं चिल्ड्रन पार्क के समीप इकाईयां बनाई गई है। हालांकि अभी तक खाद विक्रय नहीं किया गया है। टंकियों को ढांकने की व्यवस्था है, यदि टंकियां खुली हैं तो यह कर्मचारी की लापरवाही है इसकी जांच करा लेंगे।
केएस ठाकुर
सीएमओ नपा नरसिंहपुर