आयोग के डीएसपी एन जामले, टीआई राधा पांडे व एक आरक्षक की तीन सदस्यीय टीम गुरुवार सुबह १०.३० बजे एसडीएम के बयान दर्ज करने के लिए उनके कार्यालय पहुंची। करीब १० मिनट बाद एसडीएम महेश बमनहा जरूरी शासकीय कार्य के लिए जाने की बात कह कर अपने कार्यालय से चले गए। जिसके बाद एसडीएम करीब ४.३० बजे अपने कार्यालय पहुंचे जिसके बाद उनके बयान दर्ज किए गए। आयोग की टीम ने एसडीएम कार्यालय से सीनियर सिटीजन पीके पुरोहित की गिरफ्तारी, उन्हें जेल भेजने और उनकी जमानत आदि से संबंधित समस्त दस्तावेज भी जब्त किए।
आयोग की टीम ने गुरुवार को उन दो गवाहों के बयान भी दर्ज किए जिन्हें पुलिस ने पुरोहित की गिरफ्तारी के लिए अपना गवाह बनाया था। जानकारी के अनुसार गवाहों ने आयोग के समक्ष पुरोहित की गिरफ्तारी को लेकर उन्हें गवाह बनाए जाने की सच्चाई उजागर की। आयोग की टीम के एसडीएम कार्यालय पहुंचने की बात प्रशासन और जनता के बीच चर्चा का विषय रही।
गौरतलब है कि खुरपा निवासी पीके पुरोहित २१ अगस्त २०१८ को अपने गांव की सडक़ की समस्या लेकर कलेक्टर के पास गए थे जहां से उन्हें पुलिस बुलाकर गिरफ्तार करा कर जेल भेज दिया गया था। पुरोहित को ४ दिन जेल में रखने के बाद जमानत दी गई थी। इस मामले में कलेक्टर को हटाने की मांग को लेकर जिले भर में सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने विरोध प्रदर्शन कर सीएम के नाम ज्ञापन सौंपे थे। दूसरी ओर पत्रिका की खबर पर संज्ञान लेते हुए मानव अधिकार आयोग ने २८ अगस्त को जबलपुर राजस्व संभाग आयुक्त और आईजी को आदेशित किया था कि इस मामले की जांच कर तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें। आयोग ने घटना के समय के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने के भी निर्देश दिए थे।
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वर्जन
कलेक्टर ने अपने बयान दर्ज नहीं कराए हैं उन्हें सोमवार तक अपने बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया है। एसडीएम की व्यस्तता की वजह से उनके बयान दर्ज करने के लिए शाम तक इंतजार करना पड़ा। पुलिस गवाहों के भी बयान दर्ज किए गए हैं।
एन जामले, डीएसपी मानव अधिकार आयोग
आयोग की टीम ने गुरुवार को उन दो गवाहों के बयान भी दर्ज किए जिन्हें पुलिस ने पुरोहित की गिरफ्तारी के लिए अपना गवाह बनाया था। जानकारी के अनुसार गवाहों ने आयोग के समक्ष पुरोहित की गिरफ्तारी को लेकर उन्हें गवाह बनाए जाने की सच्चाई उजागर की। आयोग की टीम के एसडीएम कार्यालय पहुंचने की बात प्रशासन और जनता के बीच चर्चा का विषय रही।
गौरतलब है कि खुरपा निवासी पीके पुरोहित २१ अगस्त २०१८ को अपने गांव की सडक़ की समस्या लेकर कलेक्टर के पास गए थे जहां से उन्हें पुलिस बुलाकर गिरफ्तार करा कर जेल भेज दिया गया था। पुरोहित को ४ दिन जेल में रखने के बाद जमानत दी गई थी। इस मामले में कलेक्टर को हटाने की मांग को लेकर जिले भर में सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने विरोध प्रदर्शन कर सीएम के नाम ज्ञापन सौंपे थे। दूसरी ओर पत्रिका की खबर पर संज्ञान लेते हुए मानव अधिकार आयोग ने २८ अगस्त को जबलपुर राजस्व संभाग आयुक्त और आईजी को आदेशित किया था कि इस मामले की जांच कर तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें। आयोग ने घटना के समय के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने के भी निर्देश दिए थे।
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वर्जन
कलेक्टर ने अपने बयान दर्ज नहीं कराए हैं उन्हें सोमवार तक अपने बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया है। एसडीएम की व्यस्तता की वजह से उनके बयान दर्ज करने के लिए शाम तक इंतजार करना पड़ा। पुलिस गवाहों के भी बयान दर्ज किए गए हैं।
एन जामले, डीएसपी मानव अधिकार आयोग