बता दें कि सिर्फ नरसिंहपुर ही नहीं बल्कि समूचे प्रदेश में नर्मदा नदी में मशीनों के जरिए रेत खनन पूरी तरह से प्रतिबंध है। स्टेट लेवल एंवायरमेंट इम्पेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी के स्पष्ट निर्देश हैं कि नर्मदा के घाटों से परंपरागत रूप से रेत का उठाव किया जाए। इस आदेश का पालन कराने की जिम्मेदारी जिले के खनिज विभाग को सौंपी गई है। लेकिन अधिकारी नियम-कानून के पालन के प्रति रंच मात्र भी गंभीर नहीं हैं। नतीजतन नर्मदा में बेखौफ खनन माफिया का खेल जारी है।
अवैध खनन के चलते जिले में नर्मदा के कई घाट खतरनाक स्थिति में पहुंच गए हैं। वहीं अन्य नदियों की बात करें तो वहां भी जलधारा को अवरुद्ध कर मशीनें इनका अस्तित्व समाप्त करने तुली हुई हैं।
पिछले दो-तीन दिनों से कुड़ी व शगुन घाट पर अवैध खनन जारी है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत तत्काल जिला खनिज विभाग को दी। खनिज अधिकारी रमेश पटेल अमले के साथ मौके पर पहुंचे जरूर लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं की। खनन से निकले रेत को जब्त तक नहीं किया गया, न किसी के विरुद्ध कोई वैधानिक कार्रवाई ही हुई। लिहाजा खनन माफिया इस अवैध भंडारण से रेत का उठान भी शुरू कर दिए। इलाकाई ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने अवैध खनन कराने वाली कंपनी का नाम तक बताया गया था फिर भी अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। उधर खनिज अधिकारी बार-बार एक ही जवाब दे रहे हैं कि, कुड़ी व शगुन घाट की रेत जब्त कराने का प्रयास जारी है।
आलम यह है कि नर्मदा के कुड़ी व शगुन घाट से निकाली गई रेत के अवैध स्टाक करीब 8 जगह लगे हुए हैं। इसकी पुष्टि खुद जिला खनिज अधिकारी रमेश पटेल कर रहे हैं। लेकिन इस अवैध रेत को जब्त करने में हीलाहवाली की जा रही है। अब तो ग्रामीण ये आरोप लगाने लगे हैं कि उनकी ये लापरवाही अवैध खनन में उनकी मिलीभगत की ओर इशारा करती नजर आती है।
खनिज अधिकारियो की लापरवाही का नतीजा है कि शुक्रवार को भी इन घाटों पर धड़ल्ले से जेसीबी मशीन घाटों से रेत का खनन जारी रहा। इस संबंध में भी खनिज विभाग के अफसरों के पास शिकायत पहुंची लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अवैध खनन करने र्वाले अब ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से स्टाक की गई रेत का उठाव करने लगे हैं।
जानकारी के मुताबिक जिले की 41 रेत खदानों में से 36 की नीलामी हुई है। शेष पांच खदानें या तो डूब क्षेत्र में हैं या फिर इन्हें बंद रखा गया है। शेष खदानें धनलक्ष्मी कंपनी को 62.50 करोड़ रुपये की रायल्टी के एवज में आबंटित की गईं हैं। इसमें भी सिया की गाइडलाइन के अनुसार नर्मदा नदी में किसी भी तरह से रेत का खनन मशीनों के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। बावजूद इसके खनिज विभाग मूकदर्शक बना हुआ है। नतीजा ये है कि नर्मदा नदी के उन घाटों पर भी जहां खदानें स्वीकृत नहीं हैं, वहां भी मशीनें लगाकर जमकर अवैध खनन किया जा रहा है। दिन-रात जेसीबी और पोकलेन मशीनें नर्मदा के घाटों को बर्बाद कर रहीं हैं।