जिला मुख्यालय पर शहर के बीचों बीच स्थित इतवारा बाजार शाम के समय शराबियों का अड्डा बन जाता है। यहां खाली पड़े बाजार के चबूतरों पर हर कहीं लोग गिलास और बोतल खोल कर बैठे नजर आते हैं। पुलिस प्रशासन के भय के बिना लोग बड़े इत्मिनान से देशी और अंग्रेजी का सेवन करते हैं। रात ९ बजे और उसके बाद तक यह क्रम चलता रहता है। इस दौरान शराब के नशे में उनके विवध प्रकार के हाव भाव, बड़ी बड़ी डींगें हांकने और आपस में लडऩे झगडऩे के दूश्य भी लोगों का मनोरंजन करते हैं। आए दिन गाली गलौच और लडख़ड़ा कर गिरने के नजारे भी यहां आम हैं। इनके क्रियाकलापों की वजह से शाम ४ बजे के बाद यह क्षेत्र अशांत हो जाता है और महिलाएं, बच्चे और भद्र लोग यहां से निकल नहीं पाते।
ठेलों पर उपलब्ध डिस्पोजल गिलास व चखना
इस अघोषित मयखाना की वजह से यहां चखना बेचने वाले भी शाम को अपने ठेले लगा लेते हैं जहां अंडा,नमकीन, मूंगफली से लेकर शराब के साथ चखना के रूप में उपयोग की जाने वालीं सारी चीजें उपलब्ध रहती हैं। डिस्पोजल गिलास भी बेचे जाते हैं। समूचा क्षेत्र एक ओपन बार या मयखाना की तरह नजर आता है।
इस अघोषित मयखाना की वजह से यहां चखना बेचने वाले भी शाम को अपने ठेले लगा लेते हैं जहां अंडा,नमकीन, मूंगफली से लेकर शराब के साथ चखना के रूप में उपयोग की जाने वालीं सारी चीजें उपलब्ध रहती हैं। डिस्पोजल गिलास भी बेचे जाते हैं। समूचा क्षेत्र एक ओपन बार या मयखाना की तरह नजर आता है।