नरसिंहपुरPublished: Mar 19, 2019 05:02:23 pm
ajay khare
अब आस्था का सबसे बडा केंद्र हैं खप्परवाले दादा100 साल पहले यहां बनते थे खपरे इसी से हुआ नामकरण
Hanuman
गाडरवारा। नगर के अधिकांश पुराने मंदिरों का शुभारंभ पहले एक छोटी सी मढिय़ा से हुआ। लोगों की श्रद्धा एवं आस्था से बाद में यहां बड़े मंदिर बनाए गए। लेकिन पुरानी मढिय़ा भी आज अनेक मंदिरों में दिखाई देती है। आस्था के ऐसे केंद्रों पर वर्षों पुरानी प्राण प्रतिष्ठा कराई प्रतिमा को भी जगह से नहीं हटाया गया है, भले ही भव्य मंदिर बन गए हों। लेकिन मढिय़ा एवं प्रतिमा जहां की तहां है। इनमें बानगी के लिए नगर के बंजारी माता दरबार, बजरंग वाटिका एवं खप्पर वाले हनुमान मंदिर आदि प्रमुख हैं।
नगर के शिवाजी वार्ड में करीब सौ से डेढ़ सौ साल पहले लोग मिटटी के देशी खपरे बनाने का व्यवसाय करते थे। आसपास मैदान था एवं कोई आबादी नहीं थी। वहीं करीब सौ सवा सौ साल पहले यहां एक मढिय़ा में पूर्व मुखी हनुमान प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। कहते हैं पुराने मढिय़ा के साथ एक खपरे का कच्ची ईंटों का कक्ष बनाए जाने एवं आसपास खपरे बनने से इन्हे खप्पर वाले हनुमान जी के नाम से प्रसिद्धि मिली।
इसके बाद यहां लोग प्रति शनिवार मंगलवार को हनुमानजी का पूजन अर्चन करने आने लगे। बाद में वर्ष 1946 में उक्त मढिय़ा को भव्य मंदिर का स्वरूप देने किन्ही हनुमान भक्त फुल्लू कठल के सहयोग से रूपरेखा बनाई गई। तदोपरांत वर्ष 1947 में इसे जीवनलाल धानक एवं अन्य लोगों के सहयोग श्रमदान से चूना, रेत, गारे से बड़े मंदिर का निर्माण किया गया। इसमें वार्ड के बड़े बुजुर्गों ने जवाहर गंज निवासी हरि चाचा, राजेंद्र जैन आदि का भी योगदान बताया गया है। जहां आज घनी आबादी है वहां पुराने जमाने में केवल खपरे बनते थे एवं खपरों का बिन्डा लगाया जाता था। संभवत: इसी से इन्हे खप्पर वाले हनुमान कहा जाता है।
यह कहते वार्ड के नागरिक
धानक परिवार की वृद्धा गुल्लो बाई ने बताया जब हम यहां ब्याह कर आए थे तो यहां खपरे वाली मढिय़ा देखी थी। बाद में मंदिर बनाया गया, पहले यहां खपरे भी बनते थे।
धनसिंह राजपूत ने बताया 25 वर्षों ऊपर होने को हैं प्रति मंगलवार को मंदिर आ रहा हूं। मंदिर की देखरेख विस्तार में अमरचंद धानक का योगदान है।
अमरचंद धानक ने कहा यहां कोई समिति नहीं बनी है। मंदिर में दानपेटी रखी है उसी के चढ़ावे की राशि से मंदिर का विस्तार कराया जाता है। अब तक मंदिर में पुटटी, फर्श, गेट, सीढिय़ां, टाईल्स, टीन शेड, पौधा रोपण, बाउंड्रीवाल आदि कार्य किया गया है। यहां बाजू में दुर्गाजी एवं शिवलिंग भी स्थापित कराया गया है। यहां प्रत्येक मंगलवार को नगर के अलावा समीपी अंचलों से भी हनुमान भक्त आते हैं। मंदिर में हनुमान चालीसा वाचन, सुंदरकांड पाठ, चोलावंदन आदि धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। शाम को महा आरती की जाती है, मंदिर की बड़ी मान्यता है। एक्सरे वाले साहू मंदिर के पंडा हैं। हनुमान जयंती पर मगद के लडडू की प्रसादी वितरित होती है।