कांटेदार की मिलीभगत
यहां पर कार्यरत कांटेदार मंडी में कार्य करने वाले हम्माल अधिक हैं उनका और व्यापारियों का चोलीदामन का साथ रहता है। यहां पर वह सिर्फ कुछ समय के लिए तुलाई करने आते हैं शेष समय वह व्यापारियों के इधर कार्य करते हैं जिन व्यापारियों की तुलाई वाले से सैटिंग हो जाती है वहीं सबसे अधिक अमानक स्तर का चना सीधे बारदानों में पलटता है। राजनीतिक चोला पहने बिचौलिये सबसे अधिक अमानक स्तर का चना पिछले साल से विक्रय कर रहे हैं यही कारण है कि पिछले साल का चना जो गोटेगांव के गोदामों में भर हुआ है उसका कोई उठाव कार्य नहीं हो रहा है अपितु गोटेगंाव के राशन में वितरण के लिए नरङ्क्षसहपुर जिला मुख्यालय के वेयर हाउस से गोटेगांव चना लाया जा रहा है।
२५० बोरी अमानक चना का लगा ढेर
मंगलवार को पत्रिका ने मंडी प्रांगण में पुराने बड़े शेड के पीछे वाले हिस्से में मौजूद तुलैया के फड़ के पास २५० बोरियां अमानक चना की छल्ली लगी हुई है। यह छल्ली सोमवार को वहां पर मौजूद नहीं थी जब पत्रिका ने यहां पर तुलाई करने वाले मजदूरों से पूछा कि यहां पर किसने बारदाना लाकर छल्ली लगाई है तो उसने कहा कि यह हमारे बारदानों के पास छल्ली लगी थी इसलिए उसे हटा कर दूर लगा दी है यह किसका अनाज है यह मुकद्दम ही बता पाएगा। वहीं सोमवार को छोटे शेड के पास गोदाम क्रमांक एक के पास ७५ अमानक स्तर के बारदानों को रात में कोई रख कर चला गया जिसकी जानकारी तुलाई वाले को भी नहीं है।
जब्त करे प्रशासन
मंडी मे मौजूद ३२५ अमानक चना के बारदानों को प्रशासन लावारिश में जब्त करने की कार्रवाई करे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो उक्त बारदानों को चना खरीदी के अंतिम दिन साफ चना के बारदानों में मिलाने का कार्य कर दिया जाएगा।
साफ चना ले गया बिचौलिया
जिस वक्त मंडी प्रांगण में अमानक स्तर की धड़पकड़ चल रही थी उस समय दो शेड के तुलाई करने वालों के पास सैकड़ों क्विंटल चना सरकारी बारदानों में पलटाने के फिराक में रखा हुआ था। पत्रिका ने ऐसे रखे बारदानों की फोटो भी प्रकाशित की थी यह फोटो छपने के बाद बिचौलिए सक्रिय हो गए और वह अपने अपने तुलाई वाले के पास रखे चना के बारदानों को रात में उठा कर ले गए। जो घटिया चना है वह उसको वहीं पर छोड़ गए हैं।
मामले को दबाने का प्रयास
अमानक चना घोटाला मामले में भले ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। मगर इस मामले को दबाने में राजनीतिक लोग लगे हुए हैं। लोगों के नाम उजागर नहीं हो सकें इसलिए उनको बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कारण दो दिन व्यतीत हो जाने के बाद एफआईआर की आगे की कार्रवाई नहीं बढ़ी है। इस प्रकरण में किसी प्रकार के कथन व गिरफ्तारी नहीं हुई है।
हस्ताक्षर में भी गड़बड़ी
सूत्रों से पता चला है कि चना खरीदी के पहले सैंपल की जांच करने के लिए एक सदस्य नाफेड का नियुक्त था उसके बाद ही चना की तुलाई होती है। वह सैंपल लेने वाला यहां से चला गया और उसके स्थान पर दूसरा सैंपल वाला आ गया मगर कुछ तुलाई करने वाले पुराने सैंपल लेने वाले सदस्य के हस्ताक्षर कराके चना को कम्प्यूटर में चढ़वा रहे है। इसकी जानकारी से वरिष्ठ अधिकारी भी अवगत हैं।