माता घर में उपेक्षित, दासी पावे मान ।
रो रो कर निज सुतों से, पीड़ा करे बखान । हिंदी से उन्नति सदा, पाये पूरा देश।
ममता क्षमता से भरी, सहज सरल परिवेश। अँग्रेजों की गुलामी, हुई देश से दूर।
अँग्रेजी की गुलामी बनी आज भरपूर ।
रो रो कर निज सुतों से, पीड़ा करे बखान । हिंदी से उन्नति सदा, पाये पूरा देश।
ममता क्षमता से भरी, सहज सरल परिवेश। अँग्रेजों की गुलामी, हुई देश से दूर।
अँग्रेजी की गुलामी बनी आज भरपूर ।
टंडन जी की आत्मा, होगी खुश अविराम।
होंगे हिंदी में शुरू, सब सरकारी काम। हिंदी की चक्की चले, मिटे हृदय की टीस।
हास्य व्यंग्य दो चाक हैं, सभी विषय दूं पीस । बड़ी खुशी की बात है, हिंदी दिवस मनायं।
पर अंग्रेजी में हम, भाषण खास सुनायं।
होंगे हिंदी में शुरू, सब सरकारी काम। हिंदी की चक्की चले, मिटे हृदय की टीस।
हास्य व्यंग्य दो चाक हैं, सभी विषय दूं पीस । बड़ी खुशी की बात है, हिंदी दिवस मनायं।
पर अंग्रेजी में हम, भाषण खास सुनायं।
हिंदी बिंदी भाल की, शोभा कही न जाय ।
जहां जहां तो दस गुनी शोभा सदा बढ़ाय । वे हिंदी के पक्षधर, दें हिंदी पर जोर।
बच्चों को भिजवा रहे, कान्वेंट की ओर । माता घर में उपेक्षित, दासी पावे मान ।
रो रो कर निज सुतों से, पीड़ा करे बखान ।
जहां जहां तो दस गुनी शोभा सदा बढ़ाय । वे हिंदी के पक्षधर, दें हिंदी पर जोर।
बच्चों को भिजवा रहे, कान्वेंट की ओर । माता घर में उपेक्षित, दासी पावे मान ।
रो रो कर निज सुतों से, पीड़ा करे बखान ।
हिंदी से उन्नति सदा, पाये पूरा देश।
ममता क्षमता से भरी, सहज सरल परिवेश। अँग्रेजों की गुलामी, हुई देश से दूर।
अँग्रेजी की गुलामी बनी आज भरपूर । टंडन जी की आत्मा, होगी खुश अविराम।
होंगे हिंदी में शुरू, सब सरकारी काम।
ममता क्षमता से भरी, सहज सरल परिवेश। अँग्रेजों की गुलामी, हुई देश से दूर।
अँग्रेजी की गुलामी बनी आज भरपूर । टंडन जी की आत्मा, होगी खुश अविराम।
होंगे हिंदी में शुरू, सब सरकारी काम।
हिंदी की चक्की चले, मिटे हृदय की टीस।
हास्य व्यंग्य दो चाक हैं, सभी विषय दूं पीस । गुरु सक्सेना, सांड नरसिंहपुर
हास्य व्यंग्य दो चाक हैं, सभी विषय दूं पीस । गुरु सक्सेना, सांड नरसिंहपुर