करोड़ों खर्च के बाद खेल मैदानों का अभाव, प्रतिभाओं का हो रहा दमन

Ajay Khare | Publish: Sep, 09 2018 10:31:40 PM (IST) Narsinghpur, Madhya Pradesh, India
नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय समेत जिले भर में बेहतर मैदान नहीं है। जिसके चलते खेल प्रतिभाओं का दमन हो रहा है। खेल मैदान के अभाव में जहां युवा पीढ़ी मैदानी कसरत से दूर होती जा रही है। जिला मुख्यालय पर मैदानों को संवारने का सिलसिला दो दशकों से चल रहा है, लेकिन करोड़ों खर्च के बाद नतीजा सिफर ही है।
नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय समेत जिले भर में बेहतर मैदान नहीं है। जिसके चलते खेल प्रतिभाओं का दमन हो रहा है। अभ्यास के लिए समुचित खेल मैदान के अभाव में जहां युवा पीढ़ी मैदानी कसरत से दूर होती जा रही है। वहीं वर्तमान परिवेश में मोबाइल में व्यस्तता भी बाधा बन रही है। जिला मुख्यालय पर मैदानों को संवारने का सिलसिला दो दशकों से चल रहा है, लेकिन करोड़ों खर्च के बाद नतीजा सिफर ही है।
उल्लेखनीय है कि उत्कृष्ट विद्यालय के खेल मैदान को संवारने का विचार 2 दशक पूर्व आया। कागजी प्रक्रिया में एक दशक से ज्यादा समय बीत गया। उसके बाद वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में स्टेडियम निर्माण का शिलान्यास हुआ और इसके बाद अभी तक 1 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च हो गई, लेकिन मैदान खिलाडिय़ों के खेलने लायक नहीं बन सका है।
खेल विभाग के माध्यम से बन रहे स्टेडियम के निर्माण के लिए 99 लाख रूपए की स्वीकृति हुई। जिसमें लोक निर्माण विभाग को निर्माण एजेंसी बनाया। लोनिवि ने यहां पर अधूरी दर्शक दीर्घा बनाई। एक दर्शक दीर्घा भूमि की कमी के चलते नहीं बनी और 63 लाख रूपए खर्च के बाद लोनिवि ने अपना काम पूरा होने की बात करके पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद लघु उद्योग निगम के माध्यम से 45 लाख रूपए खर्च करके हाल ही में बाउण्ड्रीबाल का निर्माण किया गया। इसके बावजूद अभी तक मैदान खेलने लायक नहीं बन पाया।
वर्तमान में स्टेडियम के पूर्ण होने में बहुतेरी चीजों की दरकार है। खेल विभाग के सूत्रों का कहना है कि स्टेडियम के अंदर अभी चेंजिग रूम, शौचालय, मूत्रालय एवं कार्यालय का निर्माण भी बाकी है। इसके अलावा मैदान का समतलीकरण कराने के साथ ही घास भी लगाने की प्रक्रिया होना शेष है।
इससे ज्यादा बदतर हाल अग्रणी महाविद्यालय के खेल मैदान का है। कहने को तो जिले भर के कालेजों का प्रतिनिधि कालेज है, लेकिन देखरेख नहीं होने की वजह से महाविद्यालय परिसर के दो खेल मैदान झाडिय़ों से अटे पड़े हैं। पूर्व छात्र विनोद नेमा ने बताया कि शानदार हरी घास के साथ यहां क्रिकेट और फुटबाल के खिलाडिय़ों का जमावड़ा रहता था, लेकिन वर्तमान में मैदान की दुर्दशा के बाद यहां खिलाड़ी तक नहीं दिखाई देते।
इसी तरह उत्कृष्ट स्कूल के असेम्बली हाल के पास बना बास्केट बाल ग्राउंड भी आसपास दुर्दशा का शिकार है, यहां सफाई तक नहीं हो पाती। वर्तमान केन्द्रीय कारागार यानि पुराना बोस्र्टल जेल का ग्राउंड भी समय के साथ बदहाली की भेंट चढ़ चुका है। वर्तमान में यहां सुरक्षा के मद्देनजर खेल गतिविधियों पर अंकुश लगा और मैदान का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। वहीं पुलिस लाइन ग्राउंड को विभाग द्वारा किसी तरह संवारा तो जा रहा है, लेकिन यहां भी मैदान के सुधार की बार-बार दरकार उठती रही है।
इनका कहना है
स्टेडियम के निर्माण की प्रक्रिया अंतिम दौर में है, कागजी कार्रवाई की उलझन की वजह से समय काफी लग गया है। अब गोटेगांव में बने मैदान की तरह यहां पर भी समतलीकरण कराकर घास लगाई जाना है, जिसका एस्टीमेट दिया गया है। साथ ही कार्यालय व खिलाडिय़ों के लिए कुछ सुविधाओं के लिए चेंजिंग रूम, शौचालय व मूत्रालय का निर्माण भी कराना है।
संतोष सिंह राजपूत
जिला खेल अधिकारी नरसिंहपुर
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