इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही भी सामने आई है। टीबी रोग से पीडि़त दो बच्चों और मां को पोषण पुनर्वास केंद्र में रखकर दो दिनों तक डॉक्टर इलाज करते रहे और यहां भर्ती अन्य २६ बच्चों को संक्रमण होने का उन्हें ख्याल तक नहीं रहा। अब सवाल टीबी पीडि़तों के चलते अन्य बच्चों व उनके परिजनों के स्वास्थ्य को लेकर भी उठ रहे हैं।
पहुंचे थे सर्दी-खांसी का इलाज करवाने
डॉक्टरों ने बताया कि दोनों बच्चे जिला मुख्यालय के समीप स्थित ग्रामीण अंचलों के हैं। १८ माह के बच्चे को उसकी मां ओपीडी में सर्दी-खांसी करवाने के लिए लाई थी। बच्चे का वजन मात्र 8 किलो 85 ग्राम था, जबकि 15 माह का दूसरा बच्चा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से पहुंचा था। उसका वजन 6 किलो 18 ग्राम था।
इनका कहना
कम वजन के दोनों बच्चे टेस्ट में टीबी से पीडि़त पाए गए थे। दो दिन तक केंद्र में भर्ती कर इलाज किया गया है। मां में भी टीबी इंफेक्शन होना पाया गया।
मनीषा नेमा, डायटीशियन, पोषण पुनर्वास केंद्र, जिला अस्पताल
मामले की जांच कराएंगे
टीबी से पीडि़त बच्चों व उनकी मां को पोषण पुनर्वास केंद्र में रखकर इलाज किए जाने की जानकारी नहीं है। यदि ऐसा किया गया है तो इसकी जांच करवाएंगे।
डॉ. वीके मिश्रा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल