जिले में परिवार नियोजन की पूरी जिम्मेदारी पुरुषों ने महिलाओं के कांधे पर डाल दी है। उन्हें नसबंदी करवाने में रूचि है। वे महिलाओं की नसबंदी करवाने के लिए तैयार है लेकिन खुद नसबंदी करवाने से कतरा रहे है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन के लिए चलाए जा रहे अभियान के आकड़े इसकी हकीकत बयां कर रहे हैं।
बीते तीन सालों में जहां 15 हजार से अधिक महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन किये गए हैं वहीं पुरुषों का आकड़ा 100 भी पार नहीं कर सका है। ऐसा तब है जब पुरुषों को महिलाओं की अपेछा प्रोत्साहन राशि अधिक दी जाती है। जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि वे पुरुषों को जागरूक तो कर सकते हैं, लेकिन उन्हें नसबंदी कराने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।
3 हजार रुपए मिलती है प्रोत्साहन राशि
नसबंदी कराने वाले पुरुषों को स्वास्थ्य विभाग प्रोत्साहन राशि के तौर पर 3 हजार रुपए दे रहा है। पहले यह राशि दो हजार रुपए थी। हालांकि इनका लक्ष्य अलग से नहीं होता है। शासन एक लक्ष्य निर्धारित करता है, जिसमें 10 फीसदी हिस्सा पुरुषों के लिए होता है।
तीन साल में मात्र 76 ने दिखाई रुचि
वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 में अबतक कुल पुरुष नसबंदी की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा मात्र 76 पुरुषों के नसबंदी ऑपरेशन किये गए हैं। वर्ष 2017-18 में 45, 2018-19 में 18 तो 2019-20 में अबतक मात्र 12 पुरुषों के ऑपरेशन हुए हैं।
तीन साल से पूरा नहीं हुआ लक्ष्य
परिवार नियोजन के लिए महिला व पुरुषों को जागरूक करने में स्वास्थ्य अमला नाकाम साबित रहा है। पिछले तीन वर्षों में नसंबदी का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है। वर्ष 2017-18 में 10 हजार लक्ष्य के मुकाबले 5980 ऑपरेशन हुए तो 2017-18 में 10 हजार लक्ष्य की पूर्ति के लिए मात्र 5584 ही ऑपरेशन हो सके। यहीं स्थिति इस वर्ष भी नजर आ रही है। नौ माह में लक्ष्य 7523 के मुकाबले 4211 ऑपरेशन ही हो सके हैं।
कई बार महिलाएं ही रोक देती हैं पुरुषों को
महिलाओं को लगता है कि ऑपरेशन से पति बीमार या कमजोर हो सकते हैं। चूकि घर में कमाऊ सदस्य समान्यत: पुरुष ही होता है, इसलिए महिलाओं को लगता है कि पुरुषों को परेशानी न हो। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी कहते हैं कि कहीं पुरूष आगे नहीं आना चाहते हैं तो कहीं महिलाएं ही रोक देती है। इसके साइड इफेक्ट को लेकर भी भ्रम है।
स्वास्थ्य विभाग ये करता है प्रयास
– स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों व मैदानी स्टाफ नसबंदी ऑपरेशन के लिए पुरुषों को समझाइश दे रहा है कि वे नसबंदी का ऑपरेशन करा लें। फिर भी पुरुष नहीं मान रहे।
– डॉक्टर व स्वास्थ्य कार्यकर्ता नसबंदी के बाद मिलने वाली प्रोत्साहन राशि देने की बात भी कहते हैं, लेकिन इसका असर नहीं होता।
– पुरुष नसबंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। जागरूकता रथ गांव-गांव जाकर जागरूक करता है।
इसलिए तैयार नहीं होते लोग
– अंचल के पुरुष नसबंदी को अपनी मर्दानगी से जोडकऱ देखते हैं। इसलिए वे नसबंदी कराना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं।
– नसबंदी को लेकर पुरुषों का कहना होता है कि इस ऑपरेशन से कमजोरी आ जाती है।
इनका कहना
छोटा परिवार सुखी परिवार होता है। इसकी जिम्मेदारी दोनों की है। कुछ भ्रम के कारण पुरुष नसबंदी के लिए नहीं आ पाते हैं, इसलिए विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है और बेहतरी की कोशिश होगी। नसबंदी ऑपरेशन सहित अन्य भ्रांतियां दूर की जा रही हैं।
डॉ. एनयू खान, सीएमएचओ