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लाखों के दवा घोटाले की जांच पूरी, आज हो सकती है बड़ी कार्रवाई

locationनरसिंहपुरPublished: Jan 22, 2019 09:25:10 pm

Submitted by:

ajay khare

कलेक्टर के निर्देश पर 30 घंटे में सीईओ, एसडीएम की टीम ने पूरी की जांच

कलेक्टर ने जारी किये आदेश अर्थदंड भी लगाया

कलेक्टर ने जारी किये आदेश अर्थदंड भी लगाया

नरसिंहपुर। जिला अस्पताल से लाखों के दवा घोटाले की जांच मंगलवार को पूरी हो गई , जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को पेश कर दी है। जिसके आधार पर दोषी व्यक्तियों पर आज बड़ी कार्रवाई हो सकती है। जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि जिला अस्पताल के जिम्मेदार अफसरों को करीब एक सप्ताह पहले दवाओं में घोटाले की जानकारी मिलने पर भी उन्होंने तुरंत कार्रवाई करने की बजाय आरोपी को इस बात का पूरा मौका दिया कि वह अस्पताल से गायब दवाओं को वापस स्टोर में रख सके। सहायक स्टोर कीपर ने इसकी लिखित शिकायत की थी पर कोई कार्रवाई न होने पर उसने कलेक्टर दीपक सक्सेना से शिकायत की जिसके बाद कलेक्टर ने रात में ही टीम भेजकर जिला अस्पताल के दवा स्टोर रूप को सील करा दिया था। प्रशासनिक जांच टीम ने इस बिंदु पर भी जांच की है कि आखिर इस घोटाले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन, सीएमएचओ, अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ की क्या भूमिका है।
१६ को की थी सिविल सर्जन और सीएमएचओ से शिकायत
सहायक फार्मासिस्ट नीलेश वर्मा ने जिला अस्पताल के स्टोर से कीमती दवाएं गायब होने की १६ जनवरी को सिविल सर्जन डॉ.विजय मिश्रा और सीएमएचओ से लिखित शिकायत की थी। शिकायत पर कोई कार्रवाई न होने पर उसने कलेक्टर से शिकायत की। नीलेश द्वारा सिविल सर्जन और कलेक्टर से की गई शिकायत के अनुसार 12 जनवरी को महंगी दवाएं स्टोर के सबसे अंदर की ओर एक तरफ रखी गर्इं थीं । जिस पर नीलेश वर्मा को शक हुआ, तब नीलेश ने उन सभी दवाइयों की फोटो अपने मोबाइल में ले ली थी। अगले दिन रविवार था और सोमवार को स्थानीय अवकाश था और स्टोरकीपर स्टोर प्रभारी अमित तिवारी घर नहीं जा रहे थे । पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सिविल सर्जन ने कोई काम बताया है इसलिए नहीं जा रहा हूं । अवकाश के दिन में रविवार और सोमवार को खोला गया । जब मंगलवार को नीलेश कार्यालय पहुंचा तो उसने देखा कि शनिवार को जो दवाइयां अलग करके रखी गईं थीं वह अपनी जगह पर नहीं थीं । नीलेश ने वार्ड ब्वॉय दीवान खान से भी पूछा लेकिन उसका कहना था कि शनिवार को वहां रखी गई दवाइयां अपनी जगह पर नहीं हैं। दीवान खान के द्वारा भी उन्हें कहीं और नहीं रखा गया । उसी दिन मंगलवार शाम यानी 15 जनवरी को अमित तिवारी ने दवा वितरण विभाग में काम करने वाले एक फार्मासिस्ट मिश्रा से कहा कि कुछ दवाएं जो हम यहीं से वितरित कर देते हैं उनका आर्डर कर देना । नीलेश ने मिश्रा के सामने कुछ दवाओं की गिनती कराई तो उसमें दो हजार टेबलेट कम पाई गईं । इस स्थिति को देखते हुए नीलेश वर्मा ने स्टोर में जाकर और भी दवाएं चैक कीं लेकिन बहुत सी प्रिंटेड रेट वाली और महंगी दवाएं अपने स्थान से गायब थीं । फार्मासिस्ट नीलेश वर्मा ने रिकॉर्ड रजिस्टर चेक किया तो उसमें कुछ समय तक किसी भी सामान की एंट्री नहीं थी कि उसे कहीं इशु किया गया हो । इस पर नीलेश वर्मा ने संधारण रजिस्टर में लाल पेन से लाइन खींच कर अपने हस्ताक्षर कर तारीख डाल दी और अपने मोबाइल में फोटो भी ले ली ताकि फार्मासिस्ट कोई एंट्री न कर सके। गौरतलब है कि स्टोर प्रभारी अमित तिवारी के घर से दवाओं के कुछ कार्टन जब्त किए गए हैं।
महंगी दवाओं में किया बड़ा खेल
जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल के सिविल सर्जन दवा स्टोर में महंगी दवाओं में खेल किया गया है। बाजार से खरीदी जाने वाली कई ऐसी दवाएं जिनकी कीमत ३ हजार से १० हजार तक है उन्हें अस्पताल के लिए खरीदने के बाद बाजार में बेचा गया है। ज्यादातर दवाएं जबलपुर और आसपास के जिलों व कुछ स्थानीय मेडिकल स्टोर व नर्सिंग होम को बेची गई हैं। कलेक्टर की जांच टीम द्वारा स्टोर सील करने के बाद बाजार में बेची गई दवाएं वापस लाने का प्रयास किया गया और उन्हें अस्पताल के ही एक दूसरे स्टोर में रख कर यह साबित करने का प्रयास किया गया कि गलती से वे दूसरी जगह पर रख दी गईं थीं। लेकिन यह प्रयास उल्टा पड़ गया क्योंकि इन दवाओं के बैच नंबर व बिल रिकार्ड से मेल नहीं खाते। प्रशासनिक अधिकारियों की जांच टीम ने इस गड़बड़ी को पकड़ा है।
आज हो सकती है बड़ी कार्रवाई, सीएस ने नहीं दिए बयान
सूत्रों की मानें तो इस दवा घोटालेे को लेकर कलेक्टर दीपक सक्सेना बुधवार को कोई बड़ी कार्रवाई कर सकते हैं। जांच टीम ने इस मामले में अपना प्रतिवेदन पेश कर दिया है। जिला पंचायत के सीईओ आरपी अहिरवार और उनकी टीम के सदस्यों ने स्टाक पंजी एवं उपलब्ध दवाओं को सत्यापन करने साथ ही अन्य बिंदुओं पर भी गहराई से जांच की है साथ ही शिकायतकर्ता सहा.फार्मासिस्ट नीलेश वर्मा, स्टोर प्रभारी अमित तिवारी, डॉ. सगरिया व अन्य के बयान भी दर्ज किए गए हैं। जांच टीम में शामिल एसडीएम महेश बमनहा ने सिविल सर्जन डॉ.विजय मिश्रा को बयान के लिए बुलाया पर वे बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जांच में कई तरह की गंभीर अनियमिताताओं के अलावा मॉनीटरिंग की कमी पाई गई है साथ ही अफसरों की मिलीभगत भी सामने आई है।
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वर्जन
जिला अस्पताल में दवाओं के स्टाक में गड़बड़ी के मामले में जिला पंचायत सीईओ के नेतृत्व में जांच टीम गठित की गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। रिपोर्ट में आए तथ्यों के आधार पर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है।
दीपक सक्सेना, कलेक्टर
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वर्जन
१६ जनवरी को जब शिकायत म़ुझसे की गई तब मैं बाहर था इस वजह से मेरे द्वारा तुरंत कोई कार्रवाई किया जाना संभव नहीं था। मेरी कोई मिलीभगत नहीं, बिना जांच के कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती थी। जो भी दोषी है उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
डॉ.विजय मिश्रा, सिविल सर्जन जिला अस्पताल
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वर्जन
सिविल सर्जन के दवा स्टोर में लाखों का घोटाला है, सबसे पहले १६ जनवरी को मैंने सिविल सर्जन से लिखित शिकायत की थी पर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की जिससे स्टोर कीपर अमित तिवारी को अपने बचाव का पूरा मौका मिला। सीएस द्वारा कार्रवाई न करने पर मैंने कलेक्टर से शिकायत की तब जांच हुई। मैंने अमित द्वारा किए गए घोटाले के सभी प्रमाण जांच दल को उपलब्ध कराए हैं।
नीलेश वर्मा, शिकायतकर्ता, सहा. फार्मा. जिला अस्पताल
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