नरसिंहपुर

लाखों खर्च होने के बाद भी विकसित नहीं हुई नर्सरी

65 एकड़ में फैला है संजय निकुंज, उत्तम किस्म के लगे हैं पेड़-पौ

नरसिंहपुरApr 23, 2018 / 06:59 pm

sudhir shrivas

लाखों खर्च होने के बाद भी नर्सरी बदहाल

नरसिंहपुर.कौडिय़ा। अनेक सामाजिक संस्थाएं एवं पर्यावरण प्रेमी संस्थाओं द्वारा पौधरोपण कर पर्यावरण को संवारने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं सरकारी विभागों के उद्यान एवं नर्सरी बदहाली के साये में हैं। कौडिय़ा और बोहानी की सीमा से सटा संजय निकुंज उद्यान इन दिनों बदहाली का शिकार है। आलम ये है कि जहां एकओर विभाग इस उद्यान को मॉडल नर्सरी के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर उद्यान में लगे पेड़-पौधे मवेशी नष्ट कर रहे हैं। लगभग 65 एकड़ क्षेत्रफल का उद्यान, विभाग के लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो पा रहा है। रोपे गए पौधे तो नष्ट हो ही रहे हैं, बड़े पेड़ों की टहनियां भी पशु तोड़ रहे हैं। उदासीनता के चलते इस उद्यान के अंदर जगह-जगह गंदगी है।

संजय निकुंज नर्सरी की मॉडल नर्सरी में कुछेक पौधे ही सुरक्षित रह गए हैं। उद्यान के अंदर मवेशियों का जमावड़ा होने से मवेशी उद्यान के पेड़-पौधों को तो नष्ट करते ही हैं, साथ ही प्रतिवर्ष हजारों का चारा भी चट कर रहे हैं। जो लाभ उद्यान को होना चाहिए, वह मिलता नजर नहीं आ रहा है।

मॉडल नर्सरी सपना
विभाग भले ही संजय निकुंज नर्सरी को मॉडल नर्सरी के रूप में विकसित करने की योजना को मूर्तरूप देने की तैयारी कर रहा हो लेकिन यह सपना पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। विभाग यहां ग्रीन हाऊस भी बनाने की तैयार है। इसको बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती विभाग के लिए है। देखरेख के अभाव में नर्सरी के पेड़ व पौधे नष्ट हो रहे हैं। इस नर्सरी एवं उद्यान में लगे फलदार पेड़ और पौधों की सुरक्षा एवं देखरेख के लिए मात्र एक कर्मचारी राकेश कुमार कुशवाहा है।

आम और अमरूद की उत्तम किस्में
नर्सरी में अमरूद और आम की अच्छी खासी किस्में हैं जो सेहत के लिए बेहद गुणकारी हैं। यही वजह है कि इसे सुपर फूड की कैटगरी में रखा गया है। इसमें विटामिन के साथ लाइकोपीन, मैग्नीज, पोटैशियम, विटामिन, मिनरल और फाइबर पाए जाते हैं। अपनी इन खूबियों के चलते आयुर्वेद में अमरूद को खास स्थान दिया गया है। यही नहीं, इसकी खुशबू और स्वाद दोनों लाजवाब हैं। ऐसे ही आम की अनेक किस्में उपलब्ध हैं।

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