मित्र कीट उर्वरा क्षमता का होता है हृास
खेती के जानकार बताते हैं कि इस प्रकार खेतों को आग लगाने से अनेक प्रकार के मित्र जीवाणु एवं कीटों के साथ भूमि के पोषक तत्व जो ऊपरी परत में रहते हैं। आग लगने से सब नष्ट हो जाते हैं। इससे खेत की उर्वरता बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद, उर्वरकों का इस्तेमाल करना पड़ता है। जो अंत में जमीन के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं।
छाई रहती है धुंध की परत
ठंड के दिनों में खेतों में आग लगाने से धुआं वातावरण में छाया रहता है। इससे रात के समय धुंध की परत सी छाई दिखती है। जो पर्यावरण में तरह तरह से नुकसान पहुंचाती है। गौरतलब रहे कि प्रशासन द्वारा खेतों में नरवाई जलाने की मनाही है। लेकिन इसके बाद भी लगभग हर गांव में नरवाई जलाई जाती है।
खेत बखरना लाभदायक
बताया जाता है कि गन्ना गेहूं व अन्य फसलें काटने के बाद नरवाई को जलाने के बजाय यदि खेत में ही बखर कर मिट्टी में मिला दिया जाए तो अधिक उपयोगी साबित हो सकती हैं। आगजनी के भय एवं नरवाई जलाने के नुकसान देखते हुए अनेक जागरुक किसानों ने प्रशासन से किसानों को समझाइश देकर नरवाई जलाने पर पूरी तरह रोक लगाने की अपेक्षा व्यक्त की है।
इधर भौंरझिर में शॉर्ट सर्किट से जला सात एकड़ का गेहूं
भौंरझिर-गाडरवारा. ग्राम भौरझिर में शनिवार दोपहर हीरापुर वाले कमलेश महाराज, हेमराज राठौर, अजमेर कौरव के गेहूं के खेत में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। जिससे लगभग 7 एकड़ खेत का गेहूं जलकर खाक हो गया। ग्राम के लोगों ने मौके पर जाकर आग को काबू किया। वहीं फायर ब्रिगेड को सूचना के बाद देर तक नहीं पहुंची थी। इससे ग्रामवासियों ने मशक्कत कर आग पर काबू पाया।