मध्य प्रदेश विद्युत निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा के सदस्यों ने नृसिंह भवन जाकर अपर जिला दंडाधिकारी मनोज ठाकुर को प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। इस बीच बिजली कर्मचारियों ने बताया कि प्रदेश के सभी विद्युत संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा प्रदेशों की वितरण कंपनियों का निजीकरण करने के लिए स्टेंडर्ड बिड डॉक्यूमेंट जारी किया है। इसके मद्देनजर गत 1 अक्टूबर को मध्य प्रदेश विद्युत निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा का गठन किया गया था। मोर्चा में शामिल पदाधिकारियों व सदस्यों ने केंद्र सरकार द्वारा देश की वितरण कंपनियों के निजीकरण एवं उप्र में निजीकरण के विरोध में शांतिपूर्ण आंदोलन पर दमनकारी नीतियां अपनाने का तीव्र विरोध किया। मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश कर्मचारी संयुक्त समिति के समर्थन में काली पट्टी लगाकर प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन अपर जिला दंडाधिकारी को सौंपा। साथ ही सभी बैठक कर विरोध प्रदर्शन किया।
मध्य प्रदेश विद्युत निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा में शामिल पदाधिकारियों व सदस्यों ने केंद्र सरकार द्वारा देश की वितरण कंपनियों के निजीकरण एवं उत्तर प्रदेश में निजीकरण के विरोध में शांतिपूर्ण आंदोलन पर दमनकारी नीति अपनाने पर कड़ा विरोध जताया। संयुक्त मोर्चा ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि मध्य प्रदेश से किसी भी कर्मचारी-अधिकारी को उत्तर प्रदेश न भेजा जाए। विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के प्रस्ताव को तत्काल रद्द किया जाए।
मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कर्मचारी जनता यूनियन ने सोमवार को केंद्रीय विद्युत मंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया। यूनियन के क्षेत्रीय सचिव ओपी सोनी ने बताया है कि केंद्र सरकार द्वारा मनमानी करते हुए देश के सभी सरकारी क्षेत्र के विद्युत वितरण का कार्य निजी उद्योगपतियों को सौंपकर उन्हें लाभ पहुंचाने का कार्य कर रही है। सरकार के द्वारा जारी मसौदे पर विचार कर अपने सुझाव देने के लिए सरकार द्वारा कर्मचारियों को समय न दिया जाना तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई है। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रीसिटी एम्पलॉयज द्वारा सरकार को सुझाव देने की समय सीमा 31 मार्च तक बढ़ाने के लिए केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह के नाम ज्ञापन सौंपा। यूनियन द्वारा प्रदेश भर में सामूहिक रुप से ज्ञापन सौंपा गया है।