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नर्मदा जलावर्धन की बेदर्द खुदाई से ढलानदार सड़क हो गई तबाह

locationनरसिंहपुरPublished: Mar 27, 2019 05:48:15 pm

Submitted by:

ajay khare

आने जाने में गिर रहे वाहन चालक : धूल से परेशान हो रहा शहर

Narmada water scarcity gets sloppy road devastated

Narmada water scarcity gets sloppy road devastated

गाडरवारा। विकास के नाम पर तबाही की तस्वीरें किसी को देखनी हों तो वह गाडरवारा में बुरी तरह खुदी सड़कों को देख सकता है। लगभग 22 करोड़ की नर्मदा जलावर्धन शहरी पेयजल योजना के तहत नगर की अरबों रुपए की सड़कें पाईप डालने के नाम पर मशीनों से खोदी गई हैं। कहीं भी सड़क का ठीक से सुधार नहीं हुआ है। कई जगह तो ऐसा लगता है मानो आसमान से बम बरसाए गए हों। ऐसा ही कुछ नजारा अलका टाकीज से विजय कॉलोनी अस्पताल की ओर आने वाली सड़क पर दिखाई देता है। यहां नर्मदा जल योजना के तहत सड़कों को आरपार, आजू बाजू में खोद कर छोड़ दिया गया है। ठेकेदार कंपनी तर्क देती है कि नल कनेक्शन के बाद सड़क सुधार करेगी। लेकिन लोगों का कहना है कि बीच सड़क में जो खुदाई कर छोड़ा गया है। वहां से कौन क नेक्शन लेगा। उल्लेखनीय है कि अलका टाकीज के पास की सड़क ढलानदार है। यहीं आसपास टाकीज, निजी क्लीनिकें, अस्पताल अनेक स्कूल मौजूद हैं। यहीं से होकर दूसरे स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे, नगरवासी गुजरते हैं। यहीं निजी लोकमत स्कूल के पास सड़क को चारों ओर से खोदा गया है। इनमें भी पाईप डालने के बाद गडढे औपचारिक रूप से मिटटी से भरने के चलते ढलान होने से मिटटी बरसात के दिनों में बह गई। अब यहां गहरे नालीनुमा गडढे हो गए हैं। जिनमें दोपहिया वाहन चालकों को बेहद परेशानी होती है। दिन या रात के समय यदि कोई वाहन चालक ऊपर की ओर जा रहा हो। इसी स्थान पर सोने से अचानक कोई वाहन आ जाए तो गिरना लगभग तय होता है। स्थानीय लोगों के बताए अनुसार आए दिन स्कूटी, बाइक चालक गिरते रहते हैं। तिपहिया आटो गडढों में अनियंत्रित होकर पलटते बचे हैं। लोगों ने बताया कि जब स्कूल लगते एवं छूटते हैं तो यहां बेहद भीड़ हो जाती है। उस दौरान गडढों में आकर वाहन गिरने की समस्या भी बढ़ जाती है। इसके बाद भी नगर पालिका लोगों की परेशानियों से उदासीन बनी हुई है जो समझ के परे है।
धूल से हो रही परेशानी
योजना की खुदाई से प्रमुख सड़कों से लेकर गली मुहल्लों की सड़कें भी बेदर्दी से खोद कर छोड़ दी हैं। इससे पूरे शहर में धूल की समस्या बढ़ गई है। जिसका खमियाजा लोगों को वाहनों, घरों पर धूल की परतें जमने के साथ स्वास्थ्य पर कई प्रकार के प्रतिकूल प्रभाव झेलने पड़ रहे हैं। अनेक लोग निरंतर धूल के संपर्क में रहने से एलर्जी के मरीज बन रहे हैं।

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