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#mpelection2018 प्रत्याशियों के मैदान में उतरते ही बनने बिगडऩे लगे जातिगत समीकरण

locationनरसिंहपुरPublished: Nov 10, 2018 09:07:59 pm

Submitted by:

ajay khare

polipoliticalजिले की चारों विधानसभा सीटों पर इस बार भी जातीय समीकरण अपना असर दिखाएंगे। नरसिंहपुर सीट पर ब्राह्मण, लोधी और मांझी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं

जिले की चारों विधानसभा सीटों पर इस बार भी जातीय समीकरण अपना असर दिखाएंगे। नरसिंहपुर सीट पर ब्राह्मण, लोधी और मांझी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं

जिले की चारों विधानसभा सीटों पर इस बार भी जातीय समीकरण अपना असर दिखाएंगे। नरसिंहपुर सीट पर ब्राह्मण, लोधी और मांझी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं

नरसिंहपुर। जिले की चारों विधानसभा सीटों पर इस बार भी जातीय समीकरण अपना असर दिखाएंगे। नरसिंहपुर सीट पर ब्राह्मण, लोधी और मांझी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं जबकि तेंदूखेड़ा सीट पर कौरव, किरार और गाडरवारा सीट पर कौरव और ब्राह्मण वोटरों की प्रत्याशियों की हार जीत में अहम भूमिका रहती है। जिले की आरक्षित सीट गोटेगांव में अजा -जजा और कुर्मी वोटर प्रत्याशी की हार जीत में निर्णायक साबित होते रहे हैं।
नरसिंहपुर में बदला जातिगत समीकरण
वैसे नरसिंहपुर सीट से प्रत्याशी घोषित करने में पार्टियां लोधी समाज को प्रमुखता देती रही हैं। इस बार इस समाज से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं। इस स्थिति में लोधी वोटर दोनों दलों के प्रत्याशियों में समान रूप से बंटने की राजनीतिक चर्चा है। इस स्थिति में ब्राह्मण, मांझी और कुर्मी समाज की भूमिका अहम हो गई है। इस विधानसभा में ये तीनों समाज मिलकर चुनाव की तस्वीर बदल सकते हैं।
गाडरवारा में कौरव और ब्राह्मण फैक्टर
गाडरवारा में प्रत्याशियों की जीत हार का फैसला कौरव और ब्राह्मण वोटर करते आए हैं। इस बार किसी भी प्रत्याशी की जीत हार इन्हीं के थोक वोट पर निर्भर करेगी। राजनीतिक रूप से इन्हीं समाजों के नेताओं का यहां प्रभाव रहा है। कांग्रेस और भाजपा में इन्हीं समाजों के नेता अधिकांश चुनाव में पार्टी का चेहरा बनते आए हैं।
गोटेगांव में अजा जजा का प्रभाव
आरक्षित सीट गोटेगांव में अजा जजा वर्ग का वोट बैंक किसी भी प्रत्याशी की हार जीत तय करता है। वैसे यहां लोधी, कोटवार और कुर्मी वोटर भी पर्याप्त संख्या में हैं जो राजनीतिक धु्रवीकरण के बीच अपनी वजनदारी साबित करते हैं।
तेंदूखेड़ा सीट पर कौरव किरार
यह सीट जातिगत समीकरणों के लिहाज से कौरव, किरार बाहुल्य मानी जाती है पर इस सीट की खासियत यह रही है कि यहां से हमेशा किरार समाज का नेता विधायक नहीं रहा है, इस सीट से कौरव, किरार के अलावा ब्राह्मण, जाट समाज के नेताओं को भी यहां के मतदाताओं ने अपना विधायक चुना है।
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