इस नई तकनीक का प्रयोग कार्यपालन अभियंता सुभाष राय ने किया है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के वैध कृषि पंप कनेक्शन में क्यूआर कोड व जीआइएस टैगिंग किया जा रहा है। इसका पहला प्रयोग गाडरवारा में किया गया। वहां उत्साहजनक परिणाम आने के बाद विभाग ने इसका विस्तार कौड़िया विद्युत वितरण केंद्र तक कर दिया गया है।
बता दें कि गाडरवारा विद्युत संभाग के कार्यपालन यंत्री सुभाष राय ने बिजली चोरी पर अंकुश लगाने को दो महीना पहले जीआइएस टैगिंग व क्यूआर कोड लगाने की शुरूआत की थी। इस तकनीक से कंपनी क्षेत्र के अलावा समूचे प्रदेश में सुर्खियां बटोरीं। ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव तक ने इसकी तारीफ करते हुए पूरी जानकारी तलब की। फिलहाल गाडरवारा संभाग के वितरण केंद्रों में ही इसे प्रयोगात्मक रूप से लागू किया जा रहा है। विभाग का दावा है कि इस नई तकनीक से अब तक दर्जनों अवैध कनेक्शनधारकों को पकड़ा जा चुका है।
ऐसे में अब इस तकनीक का विस्तार कौड़या विद्युत उपकेंद्र तक किया जा रहा है। इस संबंध में कार्यपालन अभिंयंता का कहना है कि विभागीय समीक्षा में पाया गया था कि कौड़िया वितरण केंद्र का लाइन लॉस 50 फीसद से भी ज्यादा है। इसके चलते वितरण कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कार्यपालन यंत्री राय का कहना है कि जब वैध कनेक्शनधारी का शत-प्रतिशत क्यूआर कोड व जीआइएस टैगिंग हो जाएगा तो अवैध रूप से कृषि पंप में बिजली का उपयोग करने वालों पर कार्रवाई करने में आसानी होगी। जीआइएस के माध्यम से चोरी की बिजली का उपयोग करने वाले का नाम, पता व खसरा नंबर भी आसानी से प्राप्त हो जाएगा।
कार्यपालन यंत्री का कहना है कि तकनीक आधारित इस व्यवस्था से बिजली चोरी करने वालों का मामला कोर्ट में पेश किया जाएगा। उन्होंने अवैध रूप से बिजली का इस्तेमाल करने वालों को 10 दिन की मोहलत देते हुए समयसीमा में बैध कनेक्शन लेने की अपील की है। साथ ही चेतावनी दी है कि निर्धारित समय सीमा के बाद कटियामार कर बिजली का उपयोग करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।