उल्लेखनीय है कि पुलिस लाइन के समीप बना मुशरान पार्क ही व्यवस्थित है। इसके अलावा गयादत्त वार्ड की सिद्धेश्वर कॉलोनी, हाउसिंग बोर्ड त्रिमूर्ति नगर पार्क, रोटरी पार्क, सदर मढिय़ा के पीछे का लायन्स पार्क, सुभाष पार्क, नरसिंह मंदिर पार्क, मुशरान वन सहित अन्य पार्कों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
जिला मुख्यालय पर लगभग 20 साल पहले मुशरान वन में बच्चों के लिए वृहद पार्क बनाने की व्यवस्था की थी। यहांं पर बच्चों के मनोरंजन के लिए ट्रेन लगवाई, लेकिन कुछ दिन बाद ही यह ट्रेन बंद हो गई, इसके बाद अब उसका नामो निशान भी शेष नहीं है।
सुभाष पार्क, नरसिंह मंदिर पार्क में शाम के समय बच्चों की भीड़ रहती है। अब यहां भी एक झूले की दोनों तरफ की सीट टूट गई। कुर्सियां भी टूट चुकी हैं। फिसलपट्टी ऐसे हालात में है कि यदि बच्चे फिसलें तो चोटिल हो जाएं। ऐसा ही हाल अमूमन हर पार्क का है।
इसके अलावा त्रिमूर्ति नगर पार्क, रोटरी पार्क, सदर मढिय़ा का पार्क बदहाल स्थिति में है। यह पार्क कचराघर बनकर रह गए हैं। स्थानीय लोगों में भी रूचि का अभाव होने की वजह से पार्कों के यह हाल हैं। अधिकांश पार्कों का रखरखाव नहीं हो पाना भी इनकी बदहाली की एक वजह है।
कहां जाए बच्चे व बुजुर्ग
जिला मुख्यालय का लगातार विस्तार हो रहा है, लेकिन नगर में रहने वाले बच्चे व बुजुर्ग पार्क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। शाम के समय बच्चों को खेलने के लिए अदद पार्क नहीं है।
मुशरान पार्क व्यवस्थित
पुलिस लाइन के समीप स्थित मुशरान पार्क का रखरखाव बेहतर होने की वजह से यहां शाम होते ही लोगों का जमावड़ा रहता है। सभी ओर अच्छादित हरियाली के बीच बच्चों की किलकारी और बुजुर्गों का विचार विमर्श शाम को दिखाई देता है। इस पार्क की तर्ज पर सभी पार्कों का रखरखाव किया जाए ऐसी जनापेक्षा है।