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शाम 4 बजे के बाद नहीं मिलती बस ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं आवागमन के साधन

locationनरसिंहपुरPublished: Jan 23, 2020 09:18:09 pm

Submitted by:

ajay khare

विकास के तमाम वादे और योजनाओं के बावजूद अभी भी यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों के रूट ऐसे हैं जहां शाम ४ बजे के बाद बसें नहीं चलतीं

Buses that disappeared from the streets due to bus grab, movement was affected since morning

दोपहर बाद सामान्य हुआ तो जमकर उमड़ी भीड़

नरसिंहपुर. विकास के तमाम वादे और योजनाओं के बावजूद अभी भी यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों के रूट ऐसे हैं जहां शाम ४ बजे के बाद बसें नहीं चलतीं। ऐसी स्थिति में या तो लोगों को अगले दिन का इंतजार करना पड़ता है या फिर आटो बुक करके जाना होता है। ग्रामीण परिवहन सेवा यहां ठप पड़ी है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत जिले भर के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में सड़कों का निर्माण होने के बावजूद यह स्थिति है।
करेली नरसिंहपुर के उपनगर के रूप में विकसित हो रहा है पर यहां ७.३० बजे के बाद नरसिंहपुर से करेली जाने के लिए कोई बस नहीं है। रात में कुछ लंबी दूरी की गाडिय़ां भोपाल के लिए जाती हैं पर वे यात्रियों को फोरलेन पर या डीएम मार्ग पर उतार देती हैं। यहां से बस्ती करीब ३ किमी दूर है। रात में शहर के अंदर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिलता। गोटेगांव जिले की प्रमुख तहसील है पर यहां से शाम ६ बजे के बाद नरसिंहपुर, जबलपुर आदि के लिए बसें नहीं हैं। इसी तरह नरसिंहपुर से गोटेगांव के लिए भी शाम ६ बजे के बाद बस का साधन नहीं है।

यहां नहीं चलती बसें
गाडरवारा. सैकड़ों गांव के लोग प्रतिदिन अपने कामकाज के सिलसिले में गाडरवारा आते हैं । समीपी कई ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अभी भी यहां बसों की सुविधा नहीं है। चीचली, गोटिटोरिया, बारहा बड़ा, सीरेगांव कठोतिया, इमलिया पिपरिया, जमाडा बरेली धुरसुरु आदि जाने के लिए बसें नहीं हैं जबकि प्रतिदिन यहां के लिए बड़ी संख्या में लोग यात्रा करते हैं। बसों का संचालन न होने की वजह से लोगों को मजबूरी में मैजिक और ऑटो से जाना पड़ता है। मैजिक और आटो क्षमता से अधिक यात्री बैठाकर वाहन आगे बढ़ाते हैं। ओवर लोडिंग के चलते जान का खतरा बना रहता है। गरधा बम्होरी सोकलपुर आदि गांव के लिए बसें चलती हैं लेकिन शाम होने के बाद साधन न मिलने सभी जगह के यात्री परेशान होते हैं , यात्रियों से मनमाना किराया वसूल करने की शिकायतें मिलती रहती हैं।
गौरतलब है रात के समय यहां से बसों का संचालन न होने के कारण सर्वाधिक परेशानी उन यात्रियों को उठाना पड़ती है,जिनके लिए नरसिंहपुर से अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए सिर्फ सड़क मार्ग ही एकमात्र रास्ता होता है। बस की सुविधा से वंचित लोगों के सामने रात को यहां वहां भटकने के सिवा कोई विकल्प नही रह जाता है। उल्लेखनीय है नरसिंहपुर से ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा छिंदवाड़ा,सागर और रायसेन की ओर जाने के लिए सिर्फ सड़क मार्ग ही एकमात्र रास्ता है। इन पर यदि किसी को दस किमी से अधिक आगे का सफर करना हो तो निजी स्तर पर किराये का वाहन लेना काफी मंहगा पड़ता है।
अपडाउनर्स को होती है परेशानी
गौरतलब है ग्रामीण क्षेत्रों सें प्रतिदिन सैंकड़ों लोग अपनी नौकरी,व्यापार,पेशा या फिर मजदूरी के लिए जिला मुख्यालय पहुंचते है। ये लोग अक्सर सुबह तो बसों की सहजउपलब्धता क ी वजह से अपने ठिकाने तक पहुंच जाते है। लेकिन यदि इन्हें शाम को वापसी में देर हो जाये तो साधन मिलना काफी मुश्किल होता है। सूत्र बताते हैं कि रात के समय यात्रियों की संख्या कम होने के कारण बस आपरेटर व्यवसायिक दृष्टिकोण के चलते लोकल ग्रामीण क्षेत्रों के परमिट लेना पसंद नही करते है।
इनका कहना है-
किसी भी रूट पर बस आपरेटर की डिमांड पर ही परमिट दिया जा सकता है। लेकिन आमतौर आपरेटर दिन भर बसें चलाने के बाद रात के समय अपनी बसें हाल्ट करना पसंद करते हैं इसके अलावा व्यवसायिक कारणों के चलते भी रात को परमिट नही लेते है। फिर भी यदि कोई आपरेटर परमिट लेना चाहे उसे दिया जा सकता है।
जितेंद्र शर्मा जिला परिवहन अधिकारी नरसिंहपुर

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