सड़क दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा हादसे फोरलेन पर हो रहे हैं। तेज रफ्तार हादसों का कारण बन रही है। इसके अलावा हाइवे व गांवों के संगम मार्ग पर यातायात व सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने से भी हादसे हो रहे हैं। यह भी देखने में आ रहा है कि फोरलेन के अलावा अन्य शहरों को जाने वाले आंतरिक मार्गों पर भी लोग खाली सड़क पाकर तेज रफ्तार से वाहन चलाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।
पिछले साल की तुलना में मामूली कमी
वर्ष २०२० में जनवरी से लेकर मई तक २८८ सड़क हादसे हुए थे जिनमें २०७ लोग घायल हुए थे और ८७ लोगों की मौत हो गई थी। इस वर्ष जनवरी से लेकर मई तक कुल २५६ सड़क हादसे हुए जिनमें १७८ लोग घायल हुए और ८४ लोगोंं की मौत हो गई।
माह- कुल एक्सीडेंट-घायल-मृतक
जनवरी-४२-३०-१५
फरवरी-६५-४८-१७
मार्च-५९-४४-१६
अप्रेल-९८-६५-२९
मई-२४-१६-१०
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योग-२८८-२०७-८७
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वर्ष-२०२१
माह- कुल एक्सीडेंट-घायल-मृतक
जनवरी-१०-९-२
फरवरी-६३-५९-१८
मार्च-८४-१७-२५
अप्रेल-७३-७५-२७
मई-२६-६१-१२
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२५६-१७८-८४
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फैक्ट फाइल-१ अप्रेल २०२० से ३१ दिसंबर तक हुए सड़क हादसे
माह- कुल एक्सीडेंट-मृतक-घायल
अप्रेल-१०-२-९
मई-२६-१२-६१
जून-४६-१८-४०
जुलाई-५२-२०-४०
अगस्त-३८-१८-२४
सितंबर-५०-१९-३८
अक्टूबर-७५-२७-७१
नवंबर-७६-३२-५४
दिसंबर-६६-२१-५५
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योग-४३९-१६९-३९२
इनका कहना है
यातायात थाना प्रभारी शिशिर पांडेय का कहना है कि भीड़ भाड़ एवं व्यस्त सड़क मार्ग पर हादसे कम होते हैं क्योंकि यहां वाहनों की गति बहुत कम होती है। खाली रोड पर लोग तेज गति से वाहन चलाते हैं जो हादसे का कारण बनता है। कुछ लोग वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग करने के कारण सड़क हादसे का शिकार होते हैं। सड़क हादसे में मौत का सबसे बड़ा एक कारण दो पहिया वाहन चालकों का हेलमेट न लगाना है। हेलमेट न पहनने की वजह से सिर में गंभीर चोट आने की वजह से लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा वाहनों में रेडियम रिफ्लेक्टर न होने की वजह से कई बार खड़े वाहन से दूसरा वाहन भिड़ जाता है।