नरसिंहपुर। जिले के युवकों को स्मैक पावडर,गांजा,अफीम आदि की गिरफ्त से मुक्त करने के लिए जिला अस्पताल के परिसर में सद्भावना नशा मुक्ति केन्द्र खोला गया। केन्द्र खोले जाने के बाद बड़े जोर-शोर से दावा किए जाने लगा कि जिले के युवकों को नशे की लत से छुटकारा दिलाया जाएगा। इसके लिए पुलिस भी दावा करने लगी लेकिन करीब पौने दो माह से ज्यादा समय बीतने के बाद सद्भाव नशामुक्ति केन्द्र के मिले आंकड़े से यह सब हवा-हवाई लगने लगा है। हालत यह है कि अब तक सद्भावना नशा मुक्ति केन्द्र में स्मैक पावडर के मात्र दो युवक स्मैक पावडर की लत से छुटकारा पाने के पहुंचे और काउंसलिंग के बाद जबलपुर के सद्भाव नशामुक्ति केन्द्र में नशे से छुटकारा के लिए भर्ती हुए हैं।
एक दर्जन ही पहुंच सके
जिले के युवक नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। इसको देखकर जिला अस्पताल के परिसर में दो अक्टूबर को सद्भावना नशा मुक्ति केन्द्र खोला गया। इसके लिए जबलपुर सद्भाव केन्द्र से एक काउंसलर की नियुक्ति हुई। केन्द्र खोले जाने के बाद जिले में पुलिस के सहयोग से स्मैक,गांजा,अफीम आदि पर लगाम लगाने की बात कही गई। इसके बाद नशे की गिरफ्त में आए युवकों को प्रेरणा देकर सद्भाव नशा मुक्ति केन्द्र में भेजे जाने की बात कही गई लेकिन अक्टूबर से लेकर नवंबर माह खत्म होने तक केन्द्र में मात्र एक दर्जन नशे के आदि लोग ही पहुंच सके। इसमें से दो लोगों को छोड़कर बाकी बिना इलाज कराए वापस चले गए। इससे पुलिस सहित अन्य की प्रेरणा खोखली साबित हो रही है।
एक हजार युवक गिरफ्त में
जबलपुर के एक एनजीओ के अनुसार जिले में करीब नौ सौ से एक हजार युवक स्मैक पावडर,गांजा,अफीम की गिरफ्त में है। इनके संगत में आकर अन्य युवक भी नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। यह आंकड़ा इंजेक्शन से नशा करने वाले युवकों से अलग है। एनजीओं के अनुसार जिले में करीब 600 युवक नशे से इंजेक्शन के आदि है। एनजीओ की प्रेरणा से ओएसटी केन्द्र में इंजेक्शन से नशा करने के आदि करीब 200 युवक पहुंचे,जिसमें करीब 172 का इलाज चल रहा है। बाकी में से कुछ की मौत हो गई तो कुछ नशामुक्त हो गए।