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सरकारी अस्पताल परिसर में प्राइवेट एम्बुलेंस संचालकों का कब्जा

locationनरसिंहपुरPublished: Feb 15, 2018 07:37:00 pm

Submitted by:

ajay khare

निजी एम्बुलेंस वाले सक्रिय हैं जो जिला अस्पताल के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से अपना धंधा चमका रहे हैं ।

निजी एम्बुलेंस वाले सक्रिय हैं जो जिला अस्पताल के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से अपना धंधा चमका रहे हैं ।

ambulance

नरसिंहपुर। जिला अस्पताल के वार्डों के अंदर से लेकर बाहर तक प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों का खेल चल रहा है। न केवल उन्होंने जिला अस्पताल के परिसर पर कब्जा जमा रखा है बल्कि यहीं से वह अपने दलालों के माध्यम से मरीजों को मनमाने किराये पर वाहन उपलब्ध करा रहे हैं। नियमानुसार जिला अस्पताल के परिसर में केवल सरकारी और108 एम्बुलेंस ही खड़ी रह सकती हैं । निजी एम्बुलेंस को अस्पताल परिसर के अंदर अपने वाहन खड़े करने और मरीजों को ढूंढने की इजाजत नहीं है लेकिन काफी समय से यहां निजी एम्बुलेंस वाले सक्रिय हैं जो जिला अस्पताल के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से अपना धंधा चमका रहे हैं ।
जानकारी के मुताबिक जैसे किसी मरीज को बाहर रेफर होने की जरूरत पड़ती है तो अस्पताल के ही कुछ कर्मचारी मरीज के परिजनों को समझा बुझाकर उन्हें प्राइवेट एम्बुलेंस संचालकों के हवाले कर देते हैं। इसके बाद फिर एम्बुलेंस चालक मरीजों के परिजनों से मनमाना किराया वसूलते हैं । जानकारी के मुताबिक जबलपुर तक के 90 किलोमीटर के सफर के लिए 2000 तक वसूल लेते हैं जबकि इससे अधिक दूरी और ले जाने के लिए 10 से १२ रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से राशि वसूली जाती है।
कई एम्बुलेंस में नहीं है आवश्यक सुविधाएं
जिला अस्पताल में खड़ी हो रही कुछ निजी एम्बुलेंस में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हंै । न तो लाइफ सपोर्ट सिस्टम है और न ही पैरामेडिकल स्टाफ की सुविधा है जिसकी वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है एक ओर शासन जहां लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली बड़ी एम्बुलेंस सेवा संचालित कर रही है तो वहीं निजी एम्बुलेंस वाले ज्यादातर ओमनी वैन जैसी छोटी गाडिय़ों के माध्यम से एम्बुलेंस सेवा प्रदान कर रहे हैं जिसमें मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
वर्जन
शासकीय अस्पताल में वाहन खड़े करने वाले निजी एम्बुलेंस संचालकों की एक बैठक बुलाकर उन्हें समझाइश दी जाएगी।

डॉ. विजय मिश्रा, सिविल सर्जन

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