बताया जा रहा है कि दुर्गापूजनोत्सव के मौके पर प्रदेश भर में कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक पूजा पंडालों में प्रतिमा स्थापित करने और पुख्ता सुरक्षा इंतजाम के साथ लाइटिंग की अनुमति शासन स्तर से दी गई थी। इसी के तहत पूजा समितियों ने पूजा पंडाल और उसके बाहर सड़क किनारे पोल वगैरह लगा कर लाइटिंग कर पंडालों को आकर्षक स्वरूप प्रदान किया था। इसी बीच पूजा पंडाल समितियों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन ने पूजा पंडाल के बाहर हुई लाइटिंग को हटाने का मौखिक फरमान जारी कर दिया।
समितियों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन स्तर से जारी मौखिक फरमान में दुर्गा समितियों को सड़क किनारे लगे बिजली के पाइपों को हटाने को कहा है। इससे दुर्गा पूजा समितियों में आक्रोश व्याप्त हो गया। मौखक फरमान के विरोध में पूजा समितियां लामबंद हो गईं। एकजुट हो कर उन्होंने धरना प्रदर्शन किया, जिसमें राजनीतिक पार्टियों का साथ भी मिला। समितियों ने विरोध प्रकट करते हुए स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा। तहसीलदार राजेश मरावी से वार्ता भी की लेकिन उचित आश्वासन न मिलने पर समितियों के सदस्य थाने के सामने ही सड़क पर धरना देकर बैठ गए।
समितियों के पदाधिकारियों का आरोप है कि प्रशासन की कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए उन्होंने प्रतिमाएं स्थापित कीं हैं। बावजूद इसके अब स्थानीय प्रशासन मनमानी पर उतर आया है। उनका कहना है कि समूचे राज्य में महज गाडरवारा में ही पंडालों के आसपास से लाइटिंग हटवाई जा रही है। उनका कहना है कि पूर्व के वर्षों की भांति पूजा सीमितियों ने लाइटिंग की है, जिसमें सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा गया है। इस पर भी स्थानीय प्रशासन ने अब उन्हें हटाने का फरमान जारी कर दिया। ये उचित नहीं है।
उधर इस मामले में नगर निरीक्षक राजपाल बघेल का कहना है कि किसी भी समिति को विद्युत साज-सज्जा हटाने के लिए नहीं कहा गया है। ऐसे स्थल जहां इस लाइटिंग के चलते यातायात में बाधा पड़ रही है या पार्किंग की दिक्कत हो रही है वहीं के लिए बिजली के पाइप को अन्यत्र स्थानांतरित करने के लिए कहा गया है।