नरसिंहपुर

सरकार का एक रुपए में गेहूं, चावल और अन्य सामग्री देने का दावा बेमानी

चुनावी माहौल के बीच नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र के मगरधा गांव के जगदीश पटेल का कहना है कि योजनाएं खूब बनीं पर उनका लाभ दिलाने वाले लापरवाह हैं

नरसिंहपुरOct 18, 2018 / 08:37 pm

ajay khare

narsinghpur

नरसिंहपुर। हंडी भरी है ऊंट पर लदी है, कौन करवट बैठ जाए भरोसा नहीं । चुनावी माहौल के बीच यह कहना था नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र के मगरधा गांव के जगदीश पटेल का। उनका कहना है कि योजनाएं खूब बनीं पर उनका लाभ दिलाने वाले लापरवाह हैं और इसकी मॉनीटरिंग करने वाला कोई नहीं है। युसुफ खान ने गांव की गलियों मेंं बहते पानी और जहां तहां जमा कचरे की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस गांव की यही है विकास की असली तस्वीर, स्वच्छता अभियान और बुनियादी सुविधाओं का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।
नरसिंहपुर विधानसभा की देवरीकलां पंचायत में ग्राम पंचायत देवरी कला की आबादी करीब 4000 है इसमें डेडवारा, कुपवारा देवरीकला, बांसकुुंवारी सहित महाकौशल मलाह टोला, मेहरा टोला और बाबा टोला भी शामिल है इन सभी जगहों के लोगों को तीन माह से राशन नहीं मिला। पंचायत के बांस कुंवारी गांव के लोगोंं का कहना था कि सरकार का एक रुपए में गेहूं, चावल और अन्य सामग्री देने का दावा बेमानी है। गांव की 80 वर्षीय रामवती और बुजुर्ग कमला महोबिया ने बताया कि राशन की दुकान 7 किलोमीटर दूर डेडवारा गांव में भेज दी गई । वहां भी चार बार राशन के लिए चक्कर लगा चुके हैं लेकिन 3 महीने से एक दाना भी नहीं मिला । सरकार से मिलने वाली सुविधाओं की बात करने पर यहां के लोगों के चेहरे तमतमा जाते हैं । उनका कहना है कि बस बातें ही बातें हैं । इस गांव के श्याम बाबू ने बताया कि राशन न मिलने की शिकायत दो बार कलेक्टर से कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है । गांव के राजू मेहरा, रविंद्र महोबिया ने बताया कि यहां से राशन की दुकान तक आने और जाने में ही 100 रुपए खर्च हो जाते हैं और फिर भी राशन नहीं मिलता यह कैसी व्यवस्था है । बांस कुंवारी गांव के पूरन सिंह मेहरा ने बताया कि गांव में मिडिल स्कूल है पर प्राइमरी स्कूल के लिए गांव के बच्चों को बरगी जाना पड़ता है डेडवारा गांव की पुरानी बस्ती को ६ माह पहले प्रशासन ने रोड बनाने के नाम पर उजाड़ दिया था। उनके पक्के घर तोड़ दिए गए और उनको वहां से 1 किलोमीटर दूर एक खेत में बसा दिया गया अब हालात यह है कि वहां न तो सडक़ है न पीने का पानी है और न ही रास्ता है । यहां की निवासी मुन्नीबाई ने कहा कि वे यहां नरक भोग रहे हैं, उन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि नई जगह पर उन्हें सारी सुविधाएं दी जाएंगी, घर तो किसी तरीके से मिट्टी की दीवार उठाकर पन्नी लगा कर बना लिया पर प्रशासन ने न तो नाली बनवाई न रोड । जशोदाबाई ने कहा कि पीने के पानी के लिए केवल एक हैंडपंप लगा दिया है जिससे 62 परिवार अपना पानी भरते हैं , हैंडपंप पर लंबी कतार लगती है । रोहित चौधरी ने बताया कि 6 महीने बाद भी प्रशासन ने यहां सुविधाघर नहीं बनवाए । दशरथ बंशकार ने बताया कि घरों में अंधेरा पसरा रहता है सरकार ने बिजली की कोई व्यवस्था नहीं की। मधु ने कहा कि हमारे घर तोडक़र हमें बेघर किया और अब जरूरी सुविधाएं भी नहीं दे रहे प्रशासन सभी से वोट देने की अपील कर रहा है । मधु ने आगे कहा नेता हमारी बस्ती में चक्कर लगाने लगे हैं उनसे जब सुविधाओं की बात करते हैं तो कहते हैं अभी कुछ नहीं कर सकते आचार संहिता लगी है पर सपने बड़े बड़े दिखाने से फिर भी नहीं चूक रहे इनका अब क्या भरोसा करें।
 

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