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दवा घोटाले में जिला अस्पताल का फार्मासिस्ट अमित तिवारी सस्पेंड

locationनरसिंहपुरPublished: Jan 24, 2019 12:05:03 pm

Submitted by:

ajay khare

नरसिंहपुर। शासकीय जिला अस्पताल के सिविल सर्जन के दवा स्टोर में लाखों के दवा घोटाले में कलेक्टर दीपक सक्सेना ने फार्मासिस्ट अमित कुमार तिवारी को सस्पेंड कर दिया है। जांच में पाया गया कि तिवारी द्वारा जानबूझकर औषधि भंडार में बहुमूल्य दवाईयों को भंडारगृह से बाहर किया गया तथा रिकार्ड कीपिंग अद्यतन नहीं पाई गई।

Primary health center attached to Gotigaon for attachment period

Primary health center attached to Gotigaon for attachment period

नरसिंहपुर। शासकीय जिला अस्पताल के सिविल सर्जन के दवा स्टोर में लाखों के दवा घोटाले में कलेक्टर दीपक सक्सेना ने फार्मासिस्ट अमित कुमार तिवारी को सस्पेंड कर दिया है। जांच में पाया गया कि तिवारी द्वारा जानबूझकर औषधि भंडार में बहुमूल्य दवाईयों को भंडारगृह से बाहर किया गया तथा रिकार्ड कीपिंग अद्यतन नहीं पाई गई। उनके द्वारा 3 जनवरी तक का रिकार्ड अद्यतन है। उसके बाद का रिकार्ड अद्यतन नहीं पाया गया। औषधि भंडार का रखरखाव अत्यंत खराब व बेतरतीब तरीके से किया गया। निलंबन की अवधि में उसका मुख्यालय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गोटेगांव निर्धारित किया गया है । कलेक्टर को पेश की गई जांच रिपोर्ट में कतिपय अधिकारियों की संलिप्तता और मॉनीटरिंग में लापरवाही की ओर भी इशारा किया गया है।
जांच में गायब मिलीं लाखों की ये दवाएं
सूत्रों के मुताबिक जांच में यह पाया गया है कि प्रथम दृष्टया पंाच लाख से ज्यादा राशि की दवाएं स्टोर से गायब की गईं हैं जिनमें ६८००० कीमत की एल्बुमिन १०० एमएल , २८१९०० कीमत की क्विनाइन सल्फेट, १८१६०० कीमत की प्रापर्सोनोल १० एमजी, ३४४० की कार्बिमाजोल १० एमजी, ३१३२० कीमत कीमत की अन्य दवाएं शामिल हैं। इनके अलावा कुछ अन्य महंगी दवाएं भी शामिल हैं। गौरतलब है कि इन दवाओं में एल्बुमिन १०० एमएल की एक नग की कीमत बाजार में ३४०० रुपए है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि महंगी दवाओं को बाजार में बेचने का खेल चल रहा था।
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नियम विरुद्ध तरीक से काम कर रहा था फार्मासिस्ट अमित तिवारी
नरसिंहपुर। जिला अस्पताल के दवा स्टोर में लाखों के दवा घोटाले में आरोपों के घेरे में आए फार्मासिस्ट अमित तिवारी को लेकर यह बात सामने आई है कि वे नियम विरुद्ध तरीके से जिला अस्पताल में अटैच होकर काम कर रहे थे। फार्मासिस्ट अमित तिवारी की पदस्थापना मुल रूप में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सालीचौका में है। उसे जिला अस्पताल में नियम विरुद्ध तरीके से अटैच किए जाने की शिकायत पर सीएमएचओ ने उसे सालीचौका के लिए रिलीव करने के आदेश भी दिए थे पर सिविल सर्जन ने उसका पालन नहीं किया और उसे स्टोर का प्रभारी बनाए रहे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने विभागीय परामर्श दात्री समिति की बैठक में 9 अक्टूबर 2017 में हुए अनुमोदन के अनुसार आदेश क्रमांक स्थापना एनएचएम 2017 / 10800 दिनांक 14 नवंबर 2017 में अमित तिवारी को जिला चिकित्सालय नरसिंहपुर से कार्यमुक्त कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सालीचौका में उपस्थिति देने का आदेश दिया था पर इस आदेश का ना तो अमित तिवारी ने पालन किया और न ही सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक ने उनकी सेवाएं सालीचौका के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को वापस दीं और उसे जिला चिकित्सालय में बनाए रहे। तिवारी को करीब दो साल से जिला अस्पताल में अटैच रखने को लेकर अब यह चर्चा जोर पकड़ गई है कि तिवारी द्वारा अधिकारियों के संरक्षण में दवा घोटाला लंबे समय से किया जा रहा था। सहायक फार्मासिस्ट द्वारा शिकायत करने पर इसका पर्दाफाश हो गया ।
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सिविल सर्जन डॉ. विजय मिश्रा से सीधी बात
पत्रिका- जिला अस्पताल में दवा घोटाला उजागर होने के बाद यह चर्चा आम है कि आपके संरक्षण में ही यह हो रहा था।
डॉ. विजय मिश्रा- मेरी इसमें कोई भूमिका नहीं है प्रशासन जांच कर चुका है जो भी दोषी है उसे दंडित किया जाए।
पत्रिका-सहायक फार्मासिस्ट द्वारा शिकायत करने पर आपने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
डॉ. विजय मिश्रा- जब तक अनियमितता की जांच न हो और वह साबित न हो कार्रवाई नहीं की जा सकती थी जब शिकायत की गई तब मैं अवकाश पर था।
पत्रिका- फार्मासिस्ट अमित शर्मा को नियम विरुद्ध तरीके से जिला अस्पताल में अटैच क्यों रखा।
डॉ. विजय मिश्रा- कलेक्टर अभय वर्मा ने उसे यहां स्थाई रूप से रखने का आदेश जारी कर दिया था।
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