scriptकवियों में चढ़ा नशा, ट्रेन में ही हो गए शुरू | Poets begin in train itself | Patrika News

कवियों में चढ़ा नशा, ट्रेन में ही हो गए शुरू

locationनरसिंहपुरPublished: Jun 01, 2019 07:53:50 pm

साहित्य साधना के लिए कवियों को नहीं दिखता समय व स्थान, जुटे कवि और बरस उठी काव्य रस की फुहारें

Poets begin in train itself

Poets begin in train itself

गाडरवारा। साहित्य की साधना के लिए समय व स्थान मायने नहीं रखता। साहित्य के सृजन का जज्बा रखने वाले कहीं भी अपने काव्य की फुहारों से रसों की बारिश कर देते हैं। इसी का एक नजारा गत दिवस अमरकंटक एक्सप्रेस में देखने को मिला जब जिले के कवियों की टोली ने ट्रेन में ही महफिल जमाकर अपनी काव्य गोष्ठी संपन्न की। विगत दिवस यात्रा के दौरान जब अमरकंटक एक्सप्रेस में जिले के अलग अलग शहरों के कवियों का मिलन हुआ तो वहीं काव्य गोष्ठी का जन्म हो गया। विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षरों ने अपनी श्रेष्ठ रचनाओं के माध्यम से अजनबी यात्री, श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। कल्याणपुर के कवि विजय बेशर्म ने तबियत है नासाज सी कल से, जी डरता है हर एक पल से, रचना पाठ किया तो करेली के कवि अमित जैन संजय ने श्रृंगार पर दिल चुराना सीखे कोई आपसे, दिल मेरा खो गया यह अलग बात है, गीत की प्रस्तुति दी। सालेचौका के कवि दीपक गुप्ता ने पत्नी पर हास्य गीत से सभी को गुदगुदाया। वहीं पिपरिया के हरीश पांडे ने बाल पके बूढ़े से हो गए, मिला न कन्यादान, प्रभु दो शादी का वरदान से कुंवारों की वेदना को हास्य गीत के माध्यम से रख कर वाहवाही लूटी। गुर्जरझिरिया के बुंदेलखंडी कवि पोषराज अकेला ने राजनीति के साथ व्यंगात्मक रचना से सराहना बटोरी। सालीचौका के संतोष अग्रवाल ने अपनी गजलों के माध्यम से विधा का परिचय दिया। गाडरवारा के युवा कवि निहाल छीपा ने मुक्तकों की प्रस्तुति दी तो झिरिया के कुमार तरुण सागर ने शानदार मुक्तक पढक़र सभी के मन को मोहा। ट्रेन में हुई इस काव्य गोष्ठी का यात्रियों ने भरपूर आनंद लिया एवं बार बार जमकर तालियां बजती रहीं।

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