scriptजर्जर स्कूल भवनों में नए शिक्षण सत्र की तैयारी | Preparation of new teaching session in shabby school buildings | Patrika News

जर्जर स्कूल भवनों में नए शिक्षण सत्र की तैयारी

locationनरसिंहपुरPublished: Jun 05, 2019 08:53:23 pm

Submitted by:

ajay khare

कई पुराने शासकीय स्कूल भवन हुए बदहाल

 कई पुराने शासकीय स्कूल भवन हुए बदहाल

कई पुराने शासकीय स्कूल भवन हुए बदहाल

नरसिंहपुर. शिक्षा विभाग १७ जून से नया शिक्षण सत्र चालू करने की तैयारी में लगा है पर दूसरी ओर कई शासकीय स्कूल भवनों की हालत ठीक नहीं है, वर्षों पुराने इन स्कूल भवनों मेें कहीं छप्पर से आसमान छांकता है तो कहीं दीवारें कमजोर हो चुकी हैं। कक्षाएं संचालित करने से पहले ये स्कूल भवन अपनी मरम्मत की जरूरत बताते प्रतीत होते हैं।
जिले में माध्यमिक स्तर तक के कुल १७३० शासकीय स्कूल हैं जिनमें से १२३३ प्राइमरी और ४९७ मिडल स्कूल हैं। इनमें से कई अभी भी ५० से १०० साल पुराने भवनों में संचालित हो रहे हैं। कुछ स्कूल भवन ऐसे हैं जो अपनी उम्र के हिसाब से शिक्षा जगत की धरोहर माने जाते हैं पर इन्हें सुरक्षित रखने या मरम्मत के लिए विभाग की ओर से कोई प्रयास नहीं किए जा रहे जिसकी वजह से ये गिरने की कगार पर हैं।
बदहाली का शिकार है नरसिंहपुर का ऐतिहासिक ब्रांच स्कूल
जिले के शिक्षा जगत के इतिहास में यह स्कूल ऐतिहासिक माना जाता है। अंग्रेजों ने 1884 में नगर के बीचों बीच इस स्कूल की नींव रखी थी। इसे एंग्लो वर्नाकुलर मिडिल स्कूल नाम दिया गया। आजादी के बाद 1950 में इसका नामकरण ब्रांच स्कूल के रूप में किया गया। उस वक्त विद्यालय के लिए भव्य भवन बनाया गया था। बताया गया है कि शुरुआत में इस स्कूल में अंग्रेजों और एंग्लो इंडियंस के बच्चों को प्रवेश दिया जाता था। बाद में क्षेत्र के रसूखदार व प्रतिष्ठित परिवारों के बच्चों को दाखिला दिया जाने लगा। एक समय था, जब इस स्कूल में दाखिला पाना बड़ी बात होती थी। खास बात यह है कि अंग्रेजों के जमाने में भी इस स्कूल में हिंदी ही पढ़ायी जाती रही। करीब सवा सौ साल बाद इसमें इंग्लिश मीडियम की शुरुआत की । इसका निर्माण हवाई जहाज के आकार में किया गया था जिसका प्रवेश द्वार जहाज के अग्र भाग का बोध कराता है तो दोनों ओर के कक्ष डैनों का। स्कूल में आज भी कक्षाएं संचालित हो रही हैं। फिलहाल इसमें गरीब वर्ग के करीब 150 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए 6 महिला शिक्षक पदस्थ हैं। रखरखाव के अभाव में यह बुजुर्ग शिक्षा सदन कमजोर हो चला है। 10 कक्ष और दहलान वाले इस स्कूल की खपरैल चादर को मरम्मत की जरूरत है। सौ साल से भी ज्यादा पुराना लकड़ी का ढांचा समय और मौसम की मार से टूटने लगा है। खपरैल को सहारा देने के लिए लगाई गर्इं बल्लियां खराब हो चुकी हैं। कई स्थानों पर कवेलू टूट चुके हैं और दीवारों का पलस्तर भी साथ छोड़ चुका है। कुछ साल पहले यहां की एक बल्ली टूट कर गिर गई थी पर कोई हादसा नहीं हुआ था।
तलापार स्कूल भवन जर्जर
१९१४ में बने तलापार प्राइमरी स्कूल भवन की हालत ठीक नहीं है, इसका छप्पर कई जगह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। नगर पालिका के अधीन संचालित होने वाले इस स्कूल में बैठने की उपयुक्त व्यवस्था नहीं है, कवेलू टूटने की वजह से गर्मी में धूप और बारिश के दिनों में पानी अंदर आता है।
टैगोर प्राइमरी स्कूल स्टेशनगंज बदहाल
स्टेशनगंज में स्थित शासकीय टैगोर प्राइमरी स्कूल भवन जर्जर हालत में है, इसका छप्पर कई जगह से टूट चुका है और कभी भी गिर सकता है। इस भवन की मरम्मत के लिए कई बार पत्राचार किया गया है और स्टीमेट भी बनाया गया पर न तो इसे गिराया गया और न ही इसकी जगह नया भवन बनाया गया। बच्चों के लिए यह स्कूल भवन सुरक्षित नहीं है।
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