scriptदिखावा साबित हुई प्रशासन की कार्रवाई ५ माह बाद भी गन्ना किसानों को नहीं मिला पूरा भुगतान | Proof of show-cause of administration: Even after 5 months, sugarcane | Patrika News

दिखावा साबित हुई प्रशासन की कार्रवाई ५ माह बाद भी गन्ना किसानों को नहीं मिला पूरा भुगतान

locationनरसिंहपुरPublished: May 16, 2019 09:17:57 pm

Submitted by:

ajay khare

सुगर मिल मालिकों ने दबाई किसानों की करोड़ों की भुगतान राशि

कलेक्टर ने जारी किये आदेश अर्थदंड भी लगाया

कलेक्टर ने जारी किये आदेश अर्थदंड भी लगाया

नरसिंहपुर. सुगर मिलों को शासन द्वारा निर्धारित रेट से काफी कम पर ७०० करोड़ का गन्ना बेचने वाले यहां के हजारों किसानों को शासन उनका बकाया करोड़ों रुपये नहीं दिला सका है। ५ माह बाद भी अभी तक न्याय नहीं मिल सका है। अभी तक की कार्रवाई केवल नोटिस देने जवाब लेने और कार्रवाई के इंतजार तक सीमित रह गई है जिससे किसानों की आस टूट रही है। दूसरी ओर शासन और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। गौरतलब है कि गन्ना किसानों का जहां पिछले सीजन का बकाया करोड़ों रुपए अभी तक नहीं मिला है वहीं इस सीजन का कई करोड़ का भुगतान बकाया है। गौरतलब है कि गन्ना एक्ट के तहत खरीदी से १४ दिन के भीतर पूरा भुगतान करने के निर्देश हैं।
१ जनवरी को दिये थे 8 सुगर मिलों को नोटिस
गन्ना किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य न मिलने की शिकायतों पर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने एक जनवरी को 8 सुगर मिलों के प्रबंधकों को कारण बताओ नोटिस जारी किये थे। कलेक्टर ने सुगर मिलों को आदेशित किया था कि वे कलेक्टर न्यायालय में 7 जनवरी को नियत पेशी में हलफनामे के साथ अनिवार्य रूप से यह बतायें कि गन्ना किसानों को उनके गन्ना का कितना मूल्य कितने समय में भुगतान किया जा रहा है। विलंबित भुगतान राशि और ब्याज के लिए भुगतान की गई राशि की कृषक और दिनांकवार जानकारी मांगी गई थी। मप्र गन्ना अधिनियम 1958 के प्रावधानों के उल्लंघन व नियत समयावधि में जबाव प्रस्तुत नहीं करने की स्थिति में एक पक्षीय कार्रवाई की चेतावनी भी सुगर मिलों को दी गई थी। कारण बताओ नोटिस रेवा कृपा सुगर मिल भिटौनी, वंशिका सुगर मिल बिलगुंवा, राजराजेश्वरी सुगर मिल मोहपानी, करेली सुगर मिल करेली, महाकौशल सुगर मिल बचई, नर्मदा सुगर मिल सालीचौका, आकृति सुगर मिल तूमड़ा और शक्ति सुगर मिल कौंडिय़ा को जारी किये गये थे।
गन्ना अधिनियम में है कलेक्टर को कार्रवाई का अधिकार
मध्यप्रदेश गन्ना प्रदाय एवं क्रय नियमन अधिनियम 1958 की धारा 20 में प्रावधान है कि सुगर मिल द्वारा गन्ने के मूल्य के भुगतान के लिए कलेक्टर के संतोष योग्य उपयुक्त व्यवस्था की जायेगी। गन्ना प्राप्त होने पर गन्ने का मूल्य 14 दिन की समयावधि में गन्ना किसान को भुगतान करना होगा। नियत समय सीमा में भुगतान नहीं किये जाने पर भुगतान की तिथि तक प्रति वर्ष साढ़े 7 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।

२२ जनवरी को दिया था यह आदेश
यहां के गन्ना की सुगर रिकवरी की प्रदेश की अलग अलग लैब में जांच कराने के बाद कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जिले की सभी शुगर मिलों को २९४ रुपए २० पैसे प्रति क्विंटल की दर से गन्ने का भुगतान करने का आदेश दिया था। पर सुगर मिल मालिकों ने कलेक्टर के इस आदेश को नहीं माना और २७० रुपए के रेट से खरीदते रहे। प्रशासन ने वास्तविक सुगर रिकवरी से कम भुगतान करने के आरोप में मिलों को नोटिस भी जारी किए थे ताकि किसानों को न्याय मिल सके। सुगर मिलों ने कलेक्टर के इस आदेश को हवा में उड़ा दिया और गन्ना सीजन खत्म होने के बाद अभी तक किसानों को शासन द्वारा निर्धारित रेट के हिसाब से भुगतान नहीं किया। गौरतलब है कि कलेक्टर ने गन्ने का वास्तविक रेट तय करने के लिए यहां के गन्ना की शुगर रिकवरी की जांच सरकारी एजेंसियों से कराई थी ।
जनहित में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बिगडऩे से रोकने का दिया था हवाला
कलेक्टर ने अपने आदेश में लिखा था कि जिले के विभिन्न किसान संगठन राजनीतिक दलों समाजसेवियों द्वारा दिए गए ज्ञापनों और मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित हो रहे समाचारों, शुगर मिलों द्वारा प्रस्तुत रिकवरी रिपोर्ट एवं जिले के बाहर से कराए गए गन्ना लेबोरेटरी टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि शुगर मिलें जिस दर से गन्ना खरीद रही थीं वह काफी कम है और वास्तविक रिकवरी रेट पर आधारित नहीं है । यह आवश्यक हो गया है कि गन्ना किसानों को उनकी उपज का मूल सही समय पर लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं और गन्ना किसानों के शोषण पर प्रभावी रोक लगाई जाए और जनहित में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बिगडऩे से रोका जाए । कलेक्टर कोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश शासन विरुद्ध जावरा शुगर मिल लिमिटेड एवं अन्य के आदेश का भी उल्लेख किया था कि यह शासन की जवाबदारी है कि वह गन्ना किसानों को उपज का सही मूल्य प्रदान करने के लिए व्यवस्था करे।
—————–
कोर्ट ने नहीं लगाई रोक फिर भी प्रशासन नहीं कर सका कार्रवाई
कलेक्टर के आदेश के खिलाफ सुगर मिल संचालक हाईकोर्ट पहुंचे पर कोर्ट ने ३१ जनवरी को दिए अपने आदेश में नरसिंहपुर कलेक्टर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में स्टे देने से इंकार कर दिया था। इसके बावजूद प्रशासन सुगर मिल संचालकों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर सका है। कोर्ट ने कलेक्टर के 22 जनवरी को दिए गए आदेश को लागू रखने के निर्देश दिए थे।
——
वर्जन
गन्ना किसानों को सही रेट दिलाने के मामले में ऐसा लगता है कि मिल संचालकों के राजनीतिक प्रभाव की वजह से शासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। २२ जनवरी को प्रशासन ने २९४ रुपए २० पैसे प्रति क्विंटल की दर से गन्ने का भुगतान करने का आदेश दिया था पर चार माह बाद भी किसानों को इस रेट से रुपया नहीं मिल सका है।
बाबूलाल पटेल, अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन
——–
वर्जन
हाईकोर्ट ने २९४ रुपए २० पैसे प्रति क्विंटल की दर से गन्ने का भुगतान करने के प्रशासन के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई फिर भी ४ माह बाद तक प्रशासन ने इसका पालन नहीं करने वाले मिल संचालकों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। प्रशासन से किसानों को न्याय मिलने की आस धूमिल हो गई है।
रमाकांत धाकड़, हाईकोर्ट में किसानों की ओर से पक्षकार
—————
इनका कहना है
किसानों के हित में मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है। सुगर मिलों से गन्ना किसानों के पिछले बकाया भुगतान व इस सीजन में २९४ रुपए २० पैसे प्रति क्विंटल की दर से कम दर पर गन्ने का भुगतान न करने पर भुगतान के अंतर की वसूली के लिए आरआरसी की कार्रवाई के संबंध में प्रस्ताव गन्ना आयुक्त को भेजा जा चुका है। शीर्ष अधिकारियों की चुनाव में व्यस्तता की वजह से कार्रवाई नहीं हो सकी। उनका आदेश प्राप्त होते ही वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
दीपक सक्सेना कलेक्टर
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो