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बारिश से खेतों में आई नमी, सोयाबीन की बोवनी शुरू

locationनरसिंहपुरPublished: Jun 30, 2022 11:31:48 pm

Submitted by:

Sanjay Tiwari

धान की रोपाई के लिए अभी करना पड़ेगा इंतजार

दो से तीन घंटों की बारिश ने तपते खेतों को दी राहत

सोयाबीन की बुआई करते किसान

नरसिंहपुर. लंबे इंतजार के बाद बुधवार की शाम हुई बारिश के बाद किसानों ने राहत की संास ली है। बुधवार को हुई करीब दो से तीन घंटों की बारिश ने तपते खेतों को राहत दे दी है। इसके साथ ही खेतों में सोयाबीन की बुआई के लिए ट्रैक्टर दौडऩा शुरू हो गए हैं। हालांकि धान की रोपाई के लिए अभी किसानों को और इंतजार करना होगा। उलेखनीय है जिले में इस साल सोयाबीन के लिए दस हजार हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा गया है। वहीं अरहर के लिए करीब 43 हजार हेक्टेयर में बुआई होना है। अभी तक किसान बुआई के लिए बारिश का इंतजार कर रहे थे। बुधवार की शाम और रात को हुई बारिश के बाद गुरुवार को दोपहर में धूप खिलते ही किसानों ने खेतों की ओर रुख करना शुरू करते हुए उन्होंने तत्काल बुआई शुरू कर दी। किसान नीतेश दीक्षित कहते हैं कि रात में पानी गिरने से जमीन में नमी आ गई है। सोयाबीन की बुआई अगर जल्द कर देंगें तो आने वाले दिनों की बारिश से फायदा मिल जायेगा। इससे बीज समय पर अंकुरित हो जाएगा।
60 हजार हेक्टेयर में होना है धान की रोपाई
जिले में इस साल 60 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई की जाना है। इसमें से सर्वाधिक उत्पादन वाले सालीचौका बेल्ट में ही 25 हजार हेक्टेयर की धान की खेती होती है। किसानों ने एक माह पहले से धान रोपाई के लिए रोपा तैयार कर लिए हैं और खेतों को व्यवस्थित ढंग से सुधार लिया। मिढ़ली के किसान योगेंद्र मालवीय कहते हैं कि धान का रोपा तो तैयार है, लेकिन जब तक खेतों में पानी नहीं भर जाता है, तब तक रोपा नहीं लगा सकते। अन्यथा पंप के सहारे सिंचाई करना पड़ेगी।
इस साल प्रमुख जिंसो का ये है लक्ष्य
कृषि विभाग के अनुसार इस सीजन में करीब 72 हजार हेक्टेयर में धान, 40 हजार हेक्टेयर में मक्का, 3 हजार हेक्टेयर में ज्वार, 48 हजार हेक्टेयर में उड़द, डेढ़ हजार हेक्टेयर में मूंग की बोवनी का लक्ष्य है। वहीं 43 हजार हेक्टेयर में अरहर, 10 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन, 1.5 हजार हेक्टेयर में तिल की बोवनी का लक्ष्य है।
हर वर्ष बढ़ रहा प्रमुख जिंसों का रकबा
जिले में अच्छा उत्पादन और अधिक लाभ देने वाली प्रमुख जिंसो की तरफ किसानों का रूझान अधिक होने से रकबे में वर्ष दर वर्ष वृद्धि हो रही है। वर्ष 2020 में 71 हजार हेक्टेयर में धान, 32.1 हेक्टेयर में मक्का, 42 हजार हेक्टेयर में उड़द, 35 हजार हेक्टेयर में अरहर का रकबा था। जो वर्ष 2021 में बढ़ा तो धान 83 हजार हेक्टेयर, मक्का 39.8, उड़द 48 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया। जबकि अरहर के रकबे में कमी आई जो 32.8 हेक्टेयर हुआ।कृषि विशेषज्ञ और किसान इस कमी की वजह यह बताते हैं कि जो किसान अरहर लगा रहे थे उन्होंने धान व अन्य फ सलों के लिए प्रयास किया।

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