जीवन ओस की बूंद की तरह है। आज का व्यक्ति शांति चाहता है तो अशांति के कार्य छोड़ दे। प्रसन्नता नहीं है तो धन किस काम का। जोडऩे के लिए भाग रहे हैं इसलिए बेजोड़ नहीं बन पा रहे हैं। मुनि भाव सागर जी ने कहा कि विश्व अहिंसा दिवस 2 अक्टूबर को पूरे विश्व में मनाया जाएगा। हम सभी को तन, मन, धन, से सहयोग करना है। हिंसा को मिटाने के लिए अहिंसा का प्रचार आवश्यक है। सिर्फ नारे नहीं लगाना है कुछ अच्छे कार्य करना है। मांस निर्यात बंद हो,गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए। हथकरघा वस्त्रों को प्रोत्साहन मिले, नशा मुक्ति अभियान को गति मिले। इन सभी उद्देश्यों के लिए के आयोजन किया जा रहा है। हम सभी को मिलकर कार्य करना है। नेगेटिव सोच जीवन खराब कर देती है। इसलिए आज से ही पॉजिटिव सोचना प्रारंभ कर दें,खानपान, जीवन पॉजिटिव रखें।
गुटका, तंबाकू, शराब आदि नशा नेगेटिव एनर्जी देते हैं और इनको छोडऩे से पॉजिटिव एनर्जी आएगी। हमें मौन को तोडऩा है कुछ को तुम जगाओ कुछ को हम जगायेंगे। अहिंसक भी हिंसक बनते जा रहे हैं। प्रसिद्धि और विवाद एक दूसरे के पूरक हैं जिसको प्रसिद्धि मिलती है तो विवाद भी होता है। हम एक दूसरे की टांग नहीं खींचे सहयोग करें। जिससे यह अहिंसा का अनुष्ठान एवं अहिंसा का महायज्ञ सफ ल हो।